Book Title: Bhaktamara stotra Author(s): Mantungsuri, Amarmuni Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra View full book textPage 7
________________ ग्यारहवाँ संस्करण यह भक्तामर का ग्यारहवाँ संस्करण है। प्रस्तुत सम्पादन एवं अनुवाद की लोक - प्रियता के लिए यही एक बात पर्याप्त है। अनेकान्त, ज्ञानोदय, जैन - प्रकाश, जिनवाणी, श्रमण, वीर आदि अनेक पत्रों तथा उक्च कोटि के विद्वानों ने मुक्त-कंठ से प्रस्तुत अनुवाद की प्रशंसा की है। स्थान-स्थान से मांग-पर-मांग आने के कारण ही अब यह ग्यारहवां परिवद्धित संस्करण प्रकाशित किया जा रहा है। पाठ करने वाले साधकों की मांग को ध्यान में रखकर इसमें अन्वयार्थ और जोड़ दिया है। आशा है, प्रेमी पाठक इस वार भी अपनी गुण - ग्राहकता से हमें उत्साहित करेंगे। ओमप्रकाश जैन मंत्री, सन्मतिज्ञानपीठ आगरा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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