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निर्माण ७१ क ज्यातिर्मय चक्रों का असर हमारे सूक्ष्म मन पर और उसका असर जीवन पर होता है। दाधष्टि और आतरिक चेतना के दीच भी गहरा सम्बन्ध दना रहता है। आज का विमान भी शुभ-अशुभ पड़ियों के गणित को मानता है। R C A Sound System के आममान विभाग के अनुसार शुभ घड़ी मे Negativc Isotops और अशुभ घड़ी में POIN Otop ददते IINegauncicotops मानव के मन में आनद, उल्लास और दिव्यक्ति भरत । तया PostIncolops मानव मन को निराशाजनक उत्तेजनाओं से भरत।
शानिमाज अनुमार हमारे मस्तिष्क में विभिन्न प्रकार की विद्युत तर होती हैअन्का, दटा. टेटा, घेटा आदि आदि। जब हम में अल्फा तग्गे दढ़ती है तद हम आनन्द मे भर जाने मार मारे अपमाट समाप्त हो जाते हैं, कठिनाई दूर हो जाती हैं, जद देटा तरंगे ददनी अवमाद मे भर जाते हैं, हम में उत्तेजनाए उभरने लगती हैं।
हर प्रकार मन्तिनीय विद्युत-तरंगो के द्वारा आदमी कभी मुख का अनुभव करता .और कभी दुरा का अनुभव करता।
प्रश्न होता किम आनन्द को उपलब्ध कम करें ? अल्मा तरगों का उत्पादन कसे हमा ?
मारो के गम्निष्क ने निम्तर ये अल्का तरगे प्रवाहित होती रहती हैं परिणामत ग्य आनटिन राने हैं और उनके पाम आने वाले का अवसाद भी आनन्द में परिवर्तित जाता। मापुर पपया का कर देते हैं। उस समय ध्यान देह पर्याय से मम्पूर्णत घट है। ममतता आनन्द से भर जाती है। उस समय वाणी : ात, श्याम मात, मन र समृदा करना शात हो जाता है। विश्राम की इस मघन स्थिति में मस्तिष्क में , 3 रंगों का संचामा रोला । ये तरगें मापक के आनन्द विभोर कर देती हैं। ___ भी व्यनि जद
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