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भगवान पार्श्वनाथ |
थी । अवश्य ही इस समय भगवान नेमनाथजीके तीर्थ जैन भी यद्यपि जैनधर्मका प्रचार कर रहे थे और जैनी भी मौजूद थे; परन्तु वैदिक मतके सामने उनका महत्व बहुत कम था । अस्तु अब आइये पाठकगण काशी और उसके राजाका परिचय प्राप्त कर लें जहां भगवान पार्श्वनाथका जन्म हुआ था ।
(c) बनारस और राजा विश्वसेन ।
" भरतखंड छहखंड समेत, धनुषाकार विराजत खेत । तामें सब सुख धर्म निवास, कासी देश कुशल जनवास ॥३२॥ गांव खेट पुर पट्टन जहां, धन-कन भरे बसै बहु तहां । निवसें नागर जैनी लोय, दया धर्म पालै सब कोय ||३३||
- पार्श्वपुराण महा रमणीक देश था । ऊंचे पर्वत, सलिल सरितायें और कलकल निनादपूर्ण झरने वहांके दृश्यको बड़ा ही मनमोहक बना रहे थे । उसके मध्य के बड़े२ गहन वन पथिकजनोंको भयभीत करनेवाले थे; परन्तु वही मुनिजनोंके लिये ध्यानके अपूर्व स्थान थे । वहांकी गिरिकन्दरायें और नदीतट मुनिजनोंके निवाससे पवित्र बन चुके थे । साथ ही थोड़ी २ दूरके फासलेपर स्थित ग्राम और नगर वैसे ही वहां शोभ रहे थे जैसे आकाशमें तारागण चमकते नजर आते हैं । उन नगरों और ग्रामोंके बीचमें जैनमंदिरोंकी उन्नत शिखरें ध्वजादि सहित दूरसे ही दिखतीं ऐसी मालूम पड़तीं थीं मानों वे भव्यजनोंको त्रिलोकवन्दनीय वीतराग
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