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१७२] भगवान पार्श्वनाथ । -इसतरह लंकामें जो पर्वत आदि बताये गये थे, वह सब उक्त प्रकार मिश्रमें मिल जाते हैं । इसलिये लंकाका यहां हो होना ठीक है ।
यदि लंका ऊपरी मिश्रमें मानी जावे तो पाताल लंकाका उमसे नीचे होना आवश्यक ठहरता है । पाताल-लंकाके निकट, पद्मपुराणके उपरोक्त वर्णनमें पुष्पकवन और उसीमें उपरान्त पुप्पांतक नगरका बसाया जाना लिखा है तथापि पुष्पकके मध्य एक महाकमल बन भी था और स्वयं पाताल लंकामें एक मणिकांत पर्वत बतलाया गया है। इन स्थानोंको ध्यानमें रखनेसे हमें मिश्रके नीचेके स्थान अबेसिनिया (Abyssenis) और इथ्थूपिया(Ethiopia) ही पाताल लंका प्रतिभाषित होते हैं। इन्हीं दोनों देशोंमें पाताल लंकाके उपरोल्लिखित स्थान हमें मिल जाते हैं । अबेसिनियाके निकट इथ्यूपियामें पुष्पवर्ष स्थान बतलाया गया है जहां अबेसिनियाकी नन्दा अथवा नील नदी बृहत् नील (Nile) में आकर मिलती है ।' यहीं इसी नामके पर्वत व वन हैं । तथा इन्हींके नीचे जो पद्मवन बताया गया है वह महा कमलवन होगा; क्योंकि कमल और पद्म पर्यायवाची शब्द हैं और पद्मवन में कोटिपत्रदलके कमल होते थे; इसलिये उनका पर्यायवाची एवं और भी स्पष्ट नाम महाकमलवन ठीक ही है । पुप्पांतक और पुष्पवर्षमें किंचित् ही बाह्य भेद है, वरन् भाव दोनोंहीका एक है । अतएव उनको एक स्थान मानना युक्तियुक्त प्रतीत होता है । अब रहा सिर्फ मणिकांत पर्वत जिसमें अनेक प्रकारकी मणियां लगी हुई थीं। पुष्पांतक अथवा पुष्पवर्षसे ऊपर चलकर इथ्यूपियामें जहां शंखनागा
१-पूर्व० पृ. ५६ । २-पूर्व० पृ० ६४ ।