Book Title: Bhagawan Parshwanath Part 01
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 181
________________ wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww २७६ ] भगवान पार्श्वनाथ। नामसे और न्यूबियाको कुशस्थलकी संज्ञासे उल्लेख करते प्रतीत होते हैं। यह भी संभव है कि जैन शास्त्रकारों के निकट अबेसिनिया कुशद्वीप रहा हो और इथ्यूपिया पाताल लंका क्योंकि इथ्यूपियामें ही पाताल-लंकाके पर्वत व वन आदि मिलते हैं। अस्तु, उस समय कुशस्थलमें वैदिक धर्मके क्रियाकाण्ड यज्ञादिका प्रचार था, यह भी पद्मपुराणमें स्वीकार किया गया है। अतएव यह स्पष्ट है कि अवेसिनियांमें यादव लोग भी पहुंचे थे; जिनमेंसे उपरांत भगवान नेमिनाथका जन्म हुआ था और जो जैनशास्त्रोंमें जैनधर्मानुयायी बताये गए हैं। अवेसिनिया ही कुशद्यदेश है, इसका समर्थन यादवेन्द्र शूरसेनके पौत्र वसुदेवके वर्णनसे भी होता है। जब वसुदेव कुशद्यदेशके शौर्यपुरसे निकलकर अंगदेशके चम्पा नगरमें जाकर विद्याधरके विमानसे गिरे थे, तब उन्होंने अचंभेमें पड़कर लोगोंसे पूछा था कि यह कौनसा देश है ? यदि मथुराके पास ही शौर्यपुर होता तो अंगदेश और चम्पाका परिचय वसुदेवको जरूर होना चाहिये था और वहांपर पहुंचनेपर उन्हें विस्मित होना आवश्यक न था। साथ ही शौर्य पुरके गंधमादन पर्वतपर जो जैन मुनिको केवलज्ञान होना बतलाया गया है, वह भी ठीक है, क्योंकि अवेसिनियामें जैन मुनि पहले विचरते थे, यह बात ग्रीक लोग बतलाते हैं। इस दशामें अबेसिनियाको ही पाताल-लंका मानना ठीक-जंचता है। उसके शब्दार्थ भी इसी व्याख्याका समर्थन करते हैं; क्योंकि लंका ( मिश्र ) से नीचे ( अधो पाताल )की ओर ही अबेसिनिया थी। यदि लंका मिश्र और पाताल-लंका अवेसिनिया एवं १-पद्मपुराण पृ० ६४२ ।

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