Book Title: Bhagawan Parshwanath Part 01
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 159
________________ भगवान पार्श्वनाथ । (१२) नागवंशजोंका परिचय ! 'पातालाधिपति प्रिया प्रणयिनी चिंतामणि प्राणिनां । श्रीमत्पार्श्वजिनेशशासनसुरी पद्मावती देवता ॥२२॥' -बृहत्पद्मावती स्तोत्र भगवान पार्श्वनाथके शासनरक्षक यक्ष-यक्षिणी* धरणेन्द्र और पद्मावती देवयोनिके थे, यह हम प्रगट कर चुके हैं । साथ ही देख चुके हैं कि कोई नागवंशी राजा अलग अवश्य ही भगवान पार्श्वनाथका भक्त था और भगवान पार्श्वनाथसे उस नागवंशी राजाका सम्बन्ध था; किन्तु प्रश्न यह है कि यह नागवंशी राजा कौन थे ? क्या यह भारतीय थे ? अथवा इनका निवासस्थान भारतके बाहिर था ? सौभाग्यसे इन प्रश्नोंका समाधान भी सुगमतासे होजाता है और यह ज्ञात होता है कि यद्यपि नागवंशी मूलमें तो भारतके ही निवासी थे; परंतु उपरांत वह भारतमें बाहरसे ही आकर बस गये थे। जैन पद्मपुराणसे हमको पता चला है कि जिस समय भगवान ऋषभदेवने दीक्षा धारण करली थी, उससमय उनके निकट कच्छ-सुकच्छके पुत्र नमि-विनमि आये और अन्योंकी भांति राज्य देनेकी याचना उनसे करने लगे थे। इस मुनि अव * पार्श्वनाथ चरितमें श्री वादराजसूरिने इन्हें यक्ष बताया है, यह हम देख चुके हैं । श्री सकलकीर्ति आचार्यने भी धरणेन्द्रका उल्लेख 'यक्षराज' रूपमें अपने 'पार्श्वनाथ चरित में (सर्ग १७ श्लो. १०४-१०५) में किया है। बरजेस (Burgess) सा० ने दिगम्बर मानताके अनुसार ऐसा ही प्रकट किया है । (Ind. Anti; XXXII, 459-464)

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