Book Title: Bhagawan Parshwanath Part 01
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 145
________________ १४० ] भगवान पार्श्वनाथ । 3 आक्रमण किया था और वे यहां विविध स्थानोंपर बसने भी लगे थे ।' श्री पद्मपुराणजीमें सीताजीके स्वयम्वर में आये हुये राजाओं में नागवंशी राजाका भी उल्लेख किया गया है। साथ ही श्री नागकुमार चरितमें भी इसी बातका उल्लेख है। वहां नागवापी में जो नागकुमारका गिरना और नागोंकी उनकी रक्षा करना बतलाया है उसका भाव नागवंशियोंकी पल्लीमें कुमारका बेधड़क चला जाना और नागवंशियोंका विदेशसे आया हुआ बतलाना ही इष्ट है । " जैन पद्मपुराण से यह प्रगट ही है कि नागकुमार नामके विद्याधर लोग भी यहां मौजूद थे। फिर भारतीय कथाग्रन्थोंमें इन नागवंशी राजाओंका उल्लेख जहां किया गया है वहां उनको पशुनाग ख्याल - करके उनका स्थान जल या वापी बतलाया गया है । इसका मत-लब यही है कि वह विदेशसे आई हुई विजातीय संप्रदाय थी और समुद्रपार बसती थी । उस कालमें उनने भारतके विविध स्थानों में अपने अड्डे जमा लिये थे; यहां तक कि वे मगध और हिमालयकी तराई तक में पहुंच गए थे । नागकुमार जिस नागवापीमें गिरे थे वह मगध में ही थी* तथापि नेपालके पुरातन इतिहास में इस बात का पूरा उल्लेख है कि वहां कई वार नाग लोग आकर बस गये थे । हिमालयको वे लोग नागहृद कहते हैं। वहां नागेन्द्रका वास बतलाते हैं ।" जैन शास्त्रों में भी चक्रवर्ती सगरके सौ पुत्रोंका कैलाश पर्वतपर पहुंचकर खाई खोदनेपर नागेन्द्रद्वारा मारे जानेका उल्लेख १ - राजपूतानेका इतिहास भाग १ पृ० २३० । २ - पद्मपुराण पृ० ४०२ । ३- नागकुमार चरित पृ० १७ । ४ - इन्डियन हिस्ट्री का० भाग ३ पृ० `५२१। ५-नागकुमार चरित पृ० १७ । ६ - दी हिस्ट्री ऑफ नेपाल पूँ० ७०-१७४। ७-पूर्व पुस्तक पृ० ७७ । ८ - श्री हरिवंशपुराण पृ० १६९ ।

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