Book Title: Bankidasri Khyat
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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११०७-१११७]
गहलोतारी वातां खेचल करणी, जद पीरोजखा, चदर, मलंग वगेरै सिंधी विदा किया - उवै श्रीजीद्वारै रोडिया सिधवी भीवराजजी दरबारसू श्रीद्वारै हुता मै चढिया झगडो हुवो. सिंधी मलंग देवडा सवाई नोसरा वाळारी गोळी लागी.
मुवो फतै जोधाणनाथरी हुई। ११०८ राणारी सवारीरो घोडो वेराड दलेळसिघ लियो नै छत्र चवर ही इण लियो। ११०९ राणारा घोडा कनै वहण वाळा चोपदार दोनू हायानू जोर करी अजीतसिंघ
जीरै माथै सोनारी छडीरा टुकडा किया अजीतसिंघजीरै माथो ऊपरसू
जोजरो हुवो। १११० रूपोजी १, जीधोजी २, कीकोजी ३ औ तीन सगा भाई गूजर राणा अडसी
जीरा धायभाई। ११११ रूप धायभाई रूपनारायणरो मदिर करायो उदैपुर उरै नदी वहै जिणरी
पुळ बंधायी। १११२ राणा भीवसिंघरी बेटी देवकुवर कल्याणसिंघजी परणियो सिवदानसिंघ . महाराजारी बेटी सिणगारकुवर मोतीसिंघजी परणियो। १११३. कूमारी मोती राणा भीमसिंघरै मरजीरी खवास है । १११४ मखदूम गुलाम मुहम्मद भीमसिघजीरै वखत आयो हो उवलारी हो। १११५ स० १८८५ चैत सुद १४ उदैपुरमे राणो भीमसिंघजी देवलोक हुवा। १११६ पूनारो उकील राणाजीरी तरफसू पीपलियारो धणी सगतावत राणोजी दूसरा
वारो सिरपाव देता सो पेसुआनू कनै जाय देता, पेसवो सामो आय लेतो । १११७ राणाजीरै मेवाडरा परगनारा गावारी विगत -
चित्तोड गाव ३०१, गोढवाड ३६०, जसावरा गाव ५२, गरवारा गाव १४०, मदारीरा गाव २००, कुभळमेररा गाव ७००, देवळियारा गाव १२०, भैसरोडगढरा गाव ५००, छपनरा पाच परगनारा गाव १६०, पटारा गाव ३६० ।
मेछल भीलवाडारा गाव परगना दोय उदैसिघ राण गमिया अकबर पातसाह चित्तोड लियो जद - बूदी १, रामपुरो २, गाव १५०० रामपुरारा, गाव १००१ बूदीरा, गाव १३५१ डूगरपुररा, गाव १३५० वासवाळारा, गाव ३६० वधनोररा, गाव ८४ वेगमरा, गाव २४० माडळरा, गाव ३६० भीमचरा, गाव परगना रै पाच पातसाह जहागीर राणा अमरसिंघनू

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