Book Title: Bankidasri Khyat
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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१९०९-१९२२]
चहुआणांरी वातां १९०९. डूगर १, रुदो २, नरसिघ ३, सूरो ४, कलो ५, मैरादो ६, ठाकुरसी ७ ।
चीवा देवड़ा १९१० चीबो १, खीमो २, जैतसी ३, दूदो ४, उदैसिघ ५, देवडा चीबारा बेटारी
विगत - खेतसी १, खीवो २, रूपो ३, राजसी ४। १९११ चीवा चहुआण भीले सिरोही गाव महेसर जिणरो धणी चीबो खीमो जिण
लखावत देवडा कलानू सिरोही रावाई दे गादी बैसाणियो। १९१२. खीमारो जैतो, जैतारो करमसी राव अखैराजरो उमराव करमसीरा बेटा दोय - गोयंददास नै भगवानदास ।
निरवाण देवड़ा १९१३. देवड़ो निरवाण जिणरै वसरा निरवाण कहावै । कुकारसी डाहलिया कनैसू खडेलो लियो ।
वागड़िया देवड़ा १९१४. सिरोहीमे अक खाप देवडा वागडिया कहीजै । १९१५ देवड़ो केसरसिंघ वैजनाथोत सिरोहीरै गाव फळवद हुवो. बडो सतपुरस. इणरै रसोलो चाकर हो।
बोडा चहुआण १९१६. बोडो चहुवाण, बोडारो लाखो, लाखारो बीकलदे, वीकलदेरो महीपाल,
महीपालरो करमो, करमारो वीजो, वीजारा बेटारी विगत - वाघो १,
वैरसाल २, सीहो ३। १९१७ वाघा वीजावतरी बेटी फूलाबाई महाराज सूरजमलजी परणिया। १९१८ सवत १६७४ गावा १० सू गाव सवाणो नाराणदास वाधावतनू महाराजा
दियो। १९१९. नाराणदासरै बेटा दोय - केसरीसिंघ नै कल्याणदास, राव रतन महेसदासोत
जाळोररो धणी हुवो जद कल्याणदास कनासू सवाणो खोस लियो। १९२० हरीदास कल्याणदासोत सिरोही राव अक्षराजरै चाकर रह्यो। १९२१. चहुवाणा के काल वार रजपूतानं मार दोय सौ पैतीस गावासू वाव लिवी। १९२२ चहुवाण बीकमसी राणुआ जातरा रजपूत मार पाच सौ सत्ताईस गावासू
सूराचद लियो।

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