Book Title: Bankidasri Khyat
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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२०२] चांकीदासरी ख्यात
[२४-४-२४६६ २४८४ गुडामे सोनार ठगारा सगसू ठग-विद्या करै है। २४८५ गुडारो ठग महमदियो करणाटक माहेसू साडी तीन मण सोनो लायो हुतो
सोजतरा डेरा वडा महाराजरै पगा लागो अस्सी मोहरा नजर किवी गडा __ छोड वात वसियो आठवारा सिरदार सिवसिंघजीनू मनवार किवी हुती ।। २४८६ थेटू ठगारा घर वगडीमे हुता जैतावत सूरजमल वगड़ीसू गुडा वमियो जद
ठगारा घर साथै ले गयो। २४८७ वगडीसू ठग देवगढ जाय वसिया घर इग्यारे सिरयारी जाय वसिया। २४८८ गाव धारवी कोटडारो है । २४८६ आगै ठठारो मारग कोटडा होय निसरतो लाग्वारो माल वहतो. दाण
कोटडारा धणीर घणो आवतो। २४६० आगे बापडाऊ नामै गाव हुतो उण जायगा नवो वाहडमेर बसियो दोय कुवा
तीस पुरस घणो पाणी, मीठो पूठन भाखर छ भाखर निरु खो छै जूनो वाहडभेर जठे पहाड है गढ छै भाखररै आधोफरै भाखररी गिरद वार्ड कोस पररै छै भाखरमे गढमे कुवा, तळाव, झरणा, वावडी घणा छ भाखर निपट सझाडो छै थोहर, बोर, गूदी, गागडी, लोकस, गूगळ निपट
सझाडो छ। २४६१ वाहडमेरथी पचीस कोस वाळेतो, पचीस कोस नीवळो, तीस कोस ऊमरकोट,
वाहडमेरथी कोस छव विसाळो, तीस पुरस, मीठो पाणी, त्रणो । २४६२ कोटडो गढसू भाखरी ऊपर कुवा गढमे छै, तीस पुरस मीठो घणो पाणी
अक कुवो गावमे है। २४६३ फळोधी किरडारो जोहड जठे नाना प्रकाररी सुगध आवै लोक कहै इणमे
पोसता रहे है। २४६४ वाळारा पाणीसू महेवा मे गेहू हुवै ज्या गेहूवारी साखमें पाणीरो हासल हाथी
वाळीसै लियो वैडारो धणी । २४६५ भूरीघाट ऊपर पाबूजीरो थान है अठै माडरो नै मालाणीरो काकड है । २४६६ गुडा हेटै वाडमेर हेटै केईक गाव सूराचदरा, केईक सोढा दाविया । २४६७ सूराचदरा गाव २७ सासण, ५०० सूराचदरा धणीरै सूराचदरा गाव पाच सौ
सत्ताईस । २४६८ डैराठरसू अधकोस ऊपरै ठिकाणो जोधो है उठे मधु राज करता, ओ मधुरो
राजसथान हो हमे जोधो सूनो है । २४६६ वीकमपुर कनै लूडीरो हैडर कहीजे है ऊ विक्रमादित्य गाया, भैसा, साढा,
छाळियासू भिळायो आपरो पण राख लियो ।

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