Book Title: Bankidasri Khyat
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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२६८१-२६६६ ]
फुटकर वात
[ २१३
आलमगीरी, तवारीख कासमीरी, तवारीख बहादुरसाही, जिणमे गुर्जरेस, मालवेस, सिंघुपति, मुलतानपति, दिखणरा पातसाह ज्यारो हाल है । २६८१. इतिहास पुराणाभ्यां वेदार्थ-निर्णयो भवति ।
विविध
२६८२. सौ सुरंगामे अक सपूत ने सौ कुमेतामे अक कपूत ।
२६८३. सुरग रग पायदार है ।
२६८४. सुर्ख १, सफेद २, रग दोनू ही होय सो करडो रंग कहावें ।
२६८५ स्याह चमर, स्वेत चमर, स्याह - स्वेत चमर हुवै है ।
२६८६. सुरह गायरी ग्रीवा इण गायसू लावी हुवै. वैळं ही लाबी छं सुरह गाय इण गायसू १३ लाख चमर प्रमुख देसासू हिंदमें आवे है ।
२६८७ घनेरियो पछी कबूतर जिसो हुवै लाल पग हुवै, पाखा लावी हुवै, दिनरो दिखायी न देवें, रातरो वोले, सवदवेधी बदूक चीडननू मारै, उणरी पाखवा, उणरो मास वा रुधिररो चीथरो पाणीमे उकाळ त्रियानू पाया सूवा रोग हरै । २६८८ विहारी, गूदडियो, कागदी तीन जातरा नीबू ।
२६८६. हीगमे, किसतूरीमें मेळ हुवै इसो और चीजमे न हुवै ।
२६६० राळनू रायाल कहै यवन रायाळनू गाळे जद सोमलरी वास आवै धुवामे रायाळ घाले वडो जतन आखियारो राखने सोनार ।
फुटकर वाता
२६६१. ईसवर निरकुस है, चाहे स करें ।
२६६२ खुदा इरादो कर अक चीजको, पैदा करें असबाब उसको ।
२६६३ खुदा तालारी पातसाही वे जवाल है ।
२६६४ अंतजादुल मुलक ।
२६९५ ईस्वरमे सतसाधन फोडा मिल जावणो ओ काम आछो नही ।
२६६६ पच वकारसू पडित पूज्य होय - सुवपु करि, वित्त करि, वाणी करि, विद्या करि, विनय करि ।
२६६७ जाहल इलम विन सोभै नही, पातसाह अदल विन सोभै नही ।
२६९८ असील विद थकोही लोगारी अदब वजावै, कमीना आडै दिनही अदब वजा नही |
२६६६ पातसाह को आलैकम सलाम आध
1 साह

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