Book Title: Bankidasri Khyat
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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वांकीदासरी ख्यात
[ २२७२-२२८४
२२७२. सेख हमीदुद्दीन रेहानी १, सेख हमीदुद्दीन खोही २, सेख हमीदुद्दीन खालिस ३, सेव हमीदुद्दीन मुवैलिस ४, सेख हमीदुद्दीन कासालेस ५ - यां हमीदारी रैलत नागोरमं हुई सेख हमीदुद्दीन नागोरीरी रैलत दिलीमे हुई जवन कहै सातू हमीदारी रेलत नागोरमे होती तो नागोर खुर्द मक्को होय जातो । २२७३. खाजाजीरै चौरासी सागिर्द ज्या माह तरकीनजी गिणीजै सारासू छोटा । २२७४ खाजैजी सुलतान, सुलतान तारकीन कहि वतळाया अरथ पातसाह त्यागियूका ।
२२७५ खाजैजी जमान सहित नमाजमे रजू होते जद तारकीनजी इमाम होते नमाज गुजरा मरवा दवा मागि ऊचो जोवते जद अरसको काग़रो साराकै नजर आवतो ओ भेद पाय खाजैजी सुलतान तारकीननू कह्यो - तुम हमको ठगे सो हम आपका सागिर्द न किया आप हमारे सागिर्द होय ने फेर कह्यो - तुमारी औलाद अर हमारी ओलादकै परसपर परणीजणा परणावणा होहिगा ।
२२७६. खाजाजीरा पोता नै खाजा जीरा मुजावर सारा सीया होय गया हमै आगे च्यार वारी हुता ।
२२७७ गुजरातमे तुरकिया वोहरा सारा सीया है मुसलमान कहें - सीयारै मुकर दोलत होय, सुन्नी फतैन सीव होय ।
२२७८ इलवरस्याई रमूलस्यारी गादी हिनीफस्या, हिनीफस्यारी गादी फिदाहसन, फिदा मनसू खलना कीवी रावराजा वखता वरसिघ ।
२२७९ पातसाह लोदी वहलोलखा जिण मुलतानमे मोलवी सेख यूसफनूं बेटी परणाय दिवी ने कह्यो - वन्य भाग म्हारी बेटीरो जिणरै इसो विद्यावान भरतार |
२२८० मित्रमे लकारी सइयदारी मानता विसेस है ।
२२८१ अमान हजरत अघासकू लखनऊरो नवाव विमेस मानै ।
महदी
२२८२ पूरवमे जीवणपुर सहर जठै महदी हुवो नवीअत महमद ऊपर खतम हुई. व वलायत महूदी ऊपर खतम हुई ।
२२८३ महदवी कहै - कुराणमे आयत है महमदकी रैलतसूं नव से पाच वरसां महूदी दावो करनी ।
२२८४. कितावमे महदी कहँ - जिण दुनिया मे महमदनू भेजियो उणरो भेजियोड़ो हू ही दुनियामे आयो छू ।

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