Book Title: Bankidasri Khyat
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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२३३२-२३४४ |
मुसलमानांरी वातां
[ १९१
२३३२. आ खवर पाय अकवर आगे फोज मेली दिली तरफ वहरामखांरी सलाह
उदी अकबर पाछै आवै हेमूनू खबर हुई उण समै हेमू कनै पचास हजार सवार, वीस हजार पाळा, हजार हाथी, हजार गाडी तोपखानारी ।
२३३३ अकबरनूं दूर जाणि मसलत चूकि तोपखानो अकबररी फोज सामो पहला वहीर कियो सो तोपखानो दिलीसू तीन कोस पाणीपत पायो हेमू चढणरी त्यारी करतो हो उण समै अकवररी फोजरा हरोळ हलकार करि अजाणिया तोपखाना माथै आय पडिया लोक तोपखानो छोड भागो ।
२३३४ पातसाह अकबर आपरी जणणीनू काध दियो हो ।
२३३५ सिपहसालार खानखानारो खिताब ।
२३३६. सिपहसालार ओ खिताब खानखानाने अकबर दियो ।
२३३७ मुमारज नाम पहलवानरो है मुमारजुद्दीनखा खानखानारो खिताब है । २३३८ अंतजादुलमुलक खिताब खानखानारो अतभुजरी अंतजाद कहावै । २३३९. उम्दतुलमुलक राजा टोडरमलरो खिताब ।
२३४० सवत ९९० पातसाह अकवर फिरगरा पातसाह कनै सय्यद मुजफ्फरनू वकील मेलियो, खत लिख दीनो, तोरात अजील जबूर आ कितावारो तरजुमो मगायो । २३४१ सिपहसालार खानखानारो खिताव मुमारज पहलवान मुमारजुद्दीन खानखानारो नाम ।
२३४२ वीरवल माराणो जद पातसाह अकबर कसमीर हुता खानखा गुजरातमे हुता खानखानू खत इनायत कियो अकबर जिणमे लिखियो - म्हारी सभानू नजर लागी जिणसू म्हारी सभारी जेब वीरवल माराणो हू वीरवलरी लोथ का ले बाळतो तो उणरी चाकरीसू उरिण होतो खुदा - तालारी ऋपासू वीरबल मोनूं मिळियो हो म्हारा दिल माहली बात बाहर आणतो दारु ज्यू म्हारा सुखनबाण सवारणनू खुरासाण हुतो वीरबल जीव तन रुप मागियोडो पड त्यजने दो अधल पडदा मोनू हमें सामो कनैसू निवाजस पाया करो हू तो फायदा लेबो बरु हमेसा खुदारी महरसू म्हारी नजर तो माथै पडे म्हारा जलाल महलरो तू थभ है वीरबलरो जीव तन रूप मागियोडो पडदो त्यज अधल पडदामे दाखल हुवो
।
२३४३ पेसवा अगसर खिताब है । २३४४ बड़ी फोज जैस जावन्या ।

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