Book Title: Bankidasri Khyat
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
View full book text
________________
[प्राचीन इतिहासरी वातां ]
नंद २४३५. पाटलीपुत्र पुरै राजा नवनद हुवो (? हुवा) ज्यारी लक्ष्मी दानाभावात्
गगा तीरे पीत पाखाण हुई अजू है। २४३६ जैनरा न थामे कह है नव ही नद श्रेणकरा वसमे जनमिया। २४३७ राजा नदरा ठावा आदमिया वनमें पाटळा व्रखरी डाळ बैठा पखी नीळ टाच,
जिणरा मुखमें विना उद्दम किया लटा पडै, जिका देखिया हा. विचारियो - अठ सहर वसावज तो इण सहररा लोकनू आपहीनू रजक मिळे. पछै सहर [वसायो] पटणो कहै मुसळमान अजीमाबाद कहै ।
विक्रमादित्य २४३८ विक्रमार्कनू अगनी वेताळ दोय सोनारा पोरसा दिया था जिणसू जगन
अन्हण (२) कियो हो । २४३६ विक्रमार्क सहज दानविधि आरतियानू हजार, जिणनू वतळावै उणनू दस
हजार, वाणी सुण हस तिणन लाख, जिणरी विक्रम तारीफ फुरमावै उणनू
क्रोड सोनइया दिरीज । २४४० गळीमें पडियो अन्नकण जिणनू गजसू उतरि विक्रम माथै मेलियो जद अन्न -
धिष्ठानको लक्ष्मी वर दियो तेण वरेण माळवै दुर्भिक्ष्याभाव । २४४१ सू गळीमे पडियो धानकण गजसू उतरियो विक्रम माथै धरियो. धान
देवतारो वर हुवो माळवामे दुकाळ पडै नही । विक्रमादित्यनू राजा साळवाहण मारियो कठईक लिखै - समुद्रपाळ जोगी, जिण मारियो केई कहे विक्रमार्कनू साळवाहण मारियो, कोई कह समुद्रपाळ जोगी मारियो ।
[धार्मिक वातां]
वैदिक धर्म २४४३ गगाजीरै वाहण कर्म, जमनाजीरै वाहण मच्छ । २४४४ नमखार मिश्रमें सर्व तीरथ आया, पुसकर प्रयाग न आया. अक गुर,
अक राजा, तीरथारो जिणसू । २४४५ अरबुदवासी भील मरि नळ हुयो, भीलणी मरि दमयती हुई, सन्यासी मरि
हस हुवो।

Page Navigation
1 ... 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233