Book Title: Bankidasri Khyat
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

View full book text
Previous | Next

Page 209
________________ २३८५-२३६५ ] मुसलमानांरी वातां १६५ ] २३८५. भाऊ दिली निगमबोधरा घाट ऊपर यग्य करायो. देवीरी आग्या हुई हमै भाऊ पाछो दिखणनू परो जावै, दूजे महीनै आय साहसू जंग करै तो भाऊरी फतै हुवै. विरामणा ओ व्रत्तात्त भाऊनू सुणायो. भाऊ न मानियो । २३८६ साहरी फोज भाऊ माथै अायी भाऊ विसवासराय सामा मोरचा माडिया. बहरामखा गारदी आरावो दागियो. अहमदसाहरो लोग गोळास घणो खेत पडियो खधारियारै भाजणरी ताकीद ही. इतै सुतरनाळरो गोळो लाग विसवासराय हाथीरा होदामें मुवो आ खबर पाय भाऊ विसवासरायरै मोरचे जावणनू हाथीसू उतरियो लोका जाणियो भाऊरै ही सुतरनाळरो गोळो लागो खधारिया घोड़ा उठाया भाऊ काम आयो. दिखणी घणा माराणा भाऊरी कतल भाऊ-गरदी कहाणी । [पातसाहां, वजीरां, नबाबांरा प्रसंग] सिंध २३८७ सिंधरो मिया नूरमहम्मद जिणरो नाम स्याहकुली नादरसा दियो । २३८८ अखैराज १, हदराम २, जगतसिंघ ३, अभजी ४, सेरसिंघजी ५, महमद ६, अलीपास सिंधमे आयो सरासू नूरमहमदरो वडेरो। २३८६ आरै मुहमदस्या इनायत फकीरनू मारनै झोक नामै ठिकाणो लियो । २३६०. स्या इनायतनू लोग इनायतुल्ला कहै ओ बारह सय्यदारो मुरसद हो । २३६१ पैगबररो काको मीर हमजा जिणरी औलादमें बलोच है। २३६२ मीर बहरामरो बेटो मीर बीजड, दूजो मीर सोभदार. सोभदाररो बेटो पर मीर फतैअली बीजडरी बेटी परणियो। २३६३ इलायरो धणी माडणोत हरनाथसिंघ १, करणरो धणी पातो मोहकमसिंघ २, लाडणरो धणी गैनू साखलो ३, धीरो सहलोत ४, मथाणियार बारट जोगी दास - आ पाचा खुदाबादमें मीर वीजडनै मारियो । २३६४ वीजडरो बेटो मीर अबदल्ला, सोभदाररी बेटी परणियो अबदल्लारो मीर गुलाम, सोहराबरै परणियो। मीर सोहराबनू फतैअली मिलवानू तेडियो - इण चूक तेवडनै फतैअली कनै आवण लागो सोराब जद बैरी फतैअलीरी मा सोराबनू कहायो-मीर वीजडनू चूक हुवानू किता वरस हुवा तोनू याद है के नही ? औ समाचार सुण पाछो सोराब वावडियो फतैअलीसू मिलियो नही । २३६५

Loading...

Page Navigation
1 ... 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233