Book Title: Bankidasri Khyat
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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१७८ ]
वांकीदासरी ख्यात
[ २१५०-२१६३
पंचायती कियांनू आपानू घणा वरस हुवा सो हमै निचो करो, पचायती करणी आपै भूला क न भूला इत्तामे एक ब्राह्मण विनती किवी - आज म्हारै घर आरोगजो जद आं कह्यो - थारी मा डाकण है जिणसू थारं घर न जीमां. जद उण कही - इण वातरी मोनू प्रतीत नही आं कही तू जागतो सोय घोरावजे, आ थारो रातरै समै मूडो सूघसी 1
२१५० त्रिवेदी १, चतुर्वेदी २, जैठी ३, धीरेजा ४ - इत्यादिक खट मोढ | २१५१ नेड़ियाभू पीपरलो पीयराई - औ पलीवाळारा गांव तैमडा कनै है |
२१५२ पलीवाळ जाट घाम नाम तोतो जिण वीकमपुररी हदमे गाव बाप वसायो. तोनारा वेटारी विगत - भवड़ो १, लखो २, वेहरो ३, मेथो ४ - बापमे मेघड़ासर तळाव करायो ।
२१५३ कनोजियामे व्यास पदवी नही, सरवरिया व्यास कहावै है |
२१५४. गौतम गोत्री श्रीमाळी, गर्ग गोत्री पोहकरणा ।
२१५५. महेस्वरियारी साठी सात जातरी विरत पोकरणा छोगाणियारे है हाल तक । २१५६. व्यास तेजो, गंगो, तिलोकसी तीनू सगा भाई तेजारो तापी, गगारो गिरधर, तिलोकरो करो ।
२१५७. गंगाराम - सुतेनाऽयं द्विजेन हरिशर्मणा ।
कृतस् तार्क्ष-पुराणस्य सारोद्धार - समुच्चय ॥
२१५८ गगारामरो वेटो पारीक हरदेव ज्यारा वंसमे प्राणनाथ वीकानेर दरवारमे कथा करे हमै ।
२१५९ हरजीजी, हरदेवजी सगा भाई. मेड़तै लोकमणजी आर कडवं भाईभतीज लागे ।
२१६०. डडी श्रीधर चितोड़ा नागररो दूध हुतो ।
२१६१ पारख गोकळ मोढ जातरो वाणियों हो गुजरातरा सेठ खुसालचद अभया - दासरो गुमासतो दोलतराय आगै कुलकुलां ।
२१६२ भागरा जातरा रैवारी खारोडा हुवा. उवारै हाथ देवळजीरा खजानारी कूचियां रहती ।
२१६३. मारोतरा जातरा, मलिक खिताव, सगा भाई दोय ललू १, जगता २ वडा वनाढ्य मुलतानमे हुवा ज्या खत्रियारै वहन वेटीरो नातो होण दियो नही, पातसाही आग्या उयापी ।

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