Book Title: Bankidasri Khyat
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 190
________________ १७६] वांकीदासरी ख्यात [२१२२-२१३४ २१२२ पता वैद मुहतारै नराणदास । २१२३ पळसी वैद मुहतो महाराजकुमार गजसिंघजी जाळोर लियो जद विहारियांरै काम आयो। २१२४ सवत १६८५ (?) करमचद डोसी सत्रुजयरो जीरणोद्धार कियो उदेपुरवासी। २१२५ मुहणोत नैणसी जाळोर आमल जद वाडमेररो कामदार कुमो जिणरी बेटीरी सगाई नैणसीजीसू किवी नैणसी परणीजणनै गयो, खाडो वाडमेर मेलियो कमो मूसळ खडग सामो मेलियो डावडी औरठे परणायी जिण कारणसू नैणसी वाडमेर हदवाट मेलियो वाडमेर प्रोळरै कगाररै काठरा किंवाड हुता जिके आण जाळोर गढरी पोळ चढाया. सायर ___वाहडमेर जुगा लग डूबो, कमला - तणी कमाई । २१२६ महणोत सुदरदास जैमलोत गाव कवळे सीधल सीधलारा आदमी कट पाच सै जणा मारिया पचीस सती हुई वडो राहचक हुवो । २१२७ गाव सूजासररो वाणियो जात भडसाळी करणीरै दरसण आयो इणरो रग ___ भूरो हुतो आप फरमायो - आव म्हारा भूरिया | जदसू उणरो नाव भूरो प्रसिद्ध हुवो भूरारै वसरा भरा कहावै देसणोकमे माताजीरा खजानारी कूचिया आ कनै रहै छै । २१२८ जगनाथ १, रायमल २ - अ दोय बेटा लूणा गोरावतरा । २१२९ भडारी जगनाथजीरा वेटा दोय - अक जीवराज, दूजो हेमराज । २१३० चतुरभुज भडारी जीवराजोत है। २१३१ गगारामजी नै बछराजोत भडारी- अ हेमराजोत । २१३२ सिवाण भडारी मेघराज रावडैरारी पीढिया लिखते - लूणो १, जगनाथ २, हेमराज ३, वछगज ४, खीवराज ५, जुझारमल ६, मेघराज ७, जीवमल ८। २१३३ मेडतारो लूणियो तिलोकचद जिण रुपिया तीन हजार आपरा घरसू दिख णियान दे नै पुरोहित हरजीवण, भडारी सोभाचद नै मुहणोत ग्यानमल, मुहता वाकीदास वगेरै जोधपुररा मुसद्दी आगर ओळिया हुता ज्यान छुडाया । २१३४. भडारी भगवानदास रायमलोत वीठळदासरो पिता खैराडू राड़ सईदासू हुई जठे काम आयो।

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