Book Title: Bankidasri Khyat
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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वांकीदासरी ख्यात
[२०९३-२१०६ २०९३ हीरविजै जिनमतरो टीपणो वरतियो हो पछै सवत १८४१ रै वरस नागोरी
लूकारा गछरा श्रीपूज हरखचद जिनमतरा टीपणारो वरतारो कियो । २०९४ कछ देसमे कच्छी ओसवाळ करूखसूरी किया उवै हमै आधाईक आंचळियामें
वस है, आधाईक तपामे बस है। २०९५ वीकानेरमे सात सौ घर खरतरगछरा स्रावकारा है । २०९६ जिनदत्तसूरि परचा घणा दिया देवानुग्रहात् । २०९७. जिनदत्तसूरिरो पोतोचेलो जिनकुसळसूरि दादागुरू पोतोचेलो दोनू दादाजी
कहावै । २०९८ रूपो-रगो गुरू भाई रूपारा वडा खरतरा, रगारा रगविजया । २०९९. खरतरो जीवण जती अक महाराज अभैसिंघजी आगै मनीजतो चुगली घणी करतो चेला इणरै कपूत हुवा। ।
ओसवाळ २१०० रतनप्रभ सूरि पछै कवळेगछ कक्खसूरि हुवा ज्या बहतर गोत्र ओसवाळ
किया वाघरेचा, वाघसार इत्यादीक । २१०१ कवळेगछ रतनप्रभसूरी गाव ओसियामे अठारै गोत्र ओसवाळ किया - तातेड़ १,
वापणा २, करणावट ३, वलह ४, मोराक ५, कुळहट ६, विरट ७, लोहडे
साजने ८, श्रीश्रीमाळ ९, श्रेष्ठ १०, सचेती ११, आदित्यनाग १२ इत्यादिक । २१०२ श्रेष्ठ गोत्र साखा- वैद्य १, विरट गोत्र साखा भुरट २, बहल गोत्र साखा
चोरडिया ४। २१०३ साह भैसो माडूगढ, हमीर लालाढो इलवर तजार, सुराणो सोम सैंभर,
लोढा रामो भैरव दोनू भाई आगर, कोठारी रणधीर मेडतै, मुहणोत जैमल जाळोर, कोठारी आसकरण मेडतै, परवत लूणियो जालोर, कांकरियो वाली कुभळमेर, रतनसी गाधी जाळोर, मलकसी विहारी आगरै, थिरो भंडसाळी जेसळमेर, वछावत करमचद सगरामोत बीकानेर, कावड़ियो भाभो. भार
मलोत उदेपुर- आछा दाता हुवा । २१०४ जगदेव परमाररो वेटो मधुदेव, मधुदेवरो सुर जिणनू श्रीपूज धरमघोसा
चार्य वाणियो कियो सुररै वसरा सुराणा कहाणा । २१०५ सवत १११५ सुराणा नागोर बसिया । २१०६ नागोररै सुराण सहदेव चूहडमलोत लाख रुपिया आफ्रा घरसू राजमे भर
मुहणोत नैणमी सुदरदासरा छोरू कबीला कैदस कढाया। .

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