Book Title: Bankidasri Khyat
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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१६६ वांकीदासरी ख्यात
[ १९८०-१९९० १९८०. ढाकासू गोड राज बावनजी कछ राज दुवारका गया. पाछा आवता
पुसकरजी कन दहियानू मारियो प्रथीराज चहुवाण वहन परणायी दिली
प्रथीराज गयो जद अजमेर गोडानू दे गयो । १९८१ कुतल आव न चक्खिया, थिरराज कटाया ।
आव काटि आवेररा, .मारोठ मगाया । थिरराज गोड मारोठ हुवो।
प्रकीर्णक राजपूत वंश
वालीसा १९८२ हाथी, सूजो, मूजो, तोगो, रणभू - मे वालीसांमे ठावा हुवा खीमरो वालीसो नामजादीक हुवो ।
वाला १९८३ वाले धव, पहला कुतवखाननू मारि पछै पुरदलखांनू सिवाणचीमें मारियो । १९८४. धवेचा दासारै भाखरसी हुवो दहियारो भाणेज जिणनू पातसाह अकवर
सांचोर सिवाणो अ ठिकाणा दिया । १९८५ अभल वालो पडवाज घोड़े चढि सेवड़ा मेह, हिरणांरा सीगड़ां वधो जिको
छुडावण गयो। १९८६ कावारो पड़गनो लूखो कहावै. सताईस गावांरो. आवातरी कावारो दत्त सावळांरो गाव. सावळ कावारो बारट ।
बुंदेला १९८७. राजा हरदेस बुदेल वंसीधर कनांसू उदारा लडणरा दूहा कराय रामचद्रिकामे धराया. केसोदासरा वणायोडा नही है ।
कासी १९८८. कासीरो राजा वळवसिंघ तगो, जिणरी मूछ मार्थ कागदी नीवू ठरतो। , १९८९ वळवडसिंघ सूजा वुधौलारी सभामे गयो सूजा वुधोलो बोलियो - वनसीनद
वळवडसिंघ समझियो नही मुनसी बोलियो नवाब फरमावै है बैठो वळवडसिंघ वैठो उण दिनसू फारसी पढणी सरू किवी किताईक वरसां
फारसी वोलण लागो वळवडसिंघ। . . १९९० वरान राजा कासीरो धणी नित्य पाच जवनारै गळे कराय 'उवारी--छाती
माथै पग घर पछ जमी माथै--पग धरतो. जवनां काळपीरै खेत वराननूं

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