Book Title: Bankidasri Khyat
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
View full book text
________________
/
१६० ]
वाकीदासरी ख्यात
१८९१ वीजारा वेटारी विगत - भोजराज १, खीवराज २,
अमर ५ ।
१८९२ देवडो केसोदास खीवराज वीजावतरो राव राजसिंघ साथै माराणो । १८९३. अमरावत १, वीजावत २, सूरावत ३, सिखरावत ४, मैरावत ५, कुंभावत ६ - अ खापा देवडा डूगरोतारी सिरोहीमे ।
१८९४. रहवाडै अमरावत डूगरोत है ।
[ १८९१-१९०८ जसवंत ४,
३,
रामसिंघ
१८९५ उथपण माचाळ वगेरै ठिकाणा डूगरोता मेरावतारा है ।
१८९६ रामपुरा तीन कोस वररायो ठिकाणो देवड़ारो मालमराव वाजे से देवडा सामतसीहोत है चद्रावतारा चाकर ।
१८९७. राव पातसाह कनै गयो जद देसमे लूगा हग्राजोतनू राख गयो हो. कटार मारी. अकवर राव सुरताणसू कहायो - लूणानू मार नाखजे राव सुरताण सिरोही महलामे लूणा हरराजोतनू मारियो मानो हरराजोत ही लूणा साथै माराणो. १८९८ लूणारो महेस, महेसरो भोपत ।
१८९९ मानारो सादूळराव रायसिंघ साथै काम आयो. राव मया घणी राखतो । १९०० सादूळरो ईसरदास ।
१९०१ वणवीर हरराजोत राव सूरसिंह सुरताणोतर काम आयो ।
१९०२ घनो जैमल माहो - माहरी वेढमे माराणा ।
१९०३ देवडो डूगर १, रुदो २, नरसिंघ ३, सिखरो ४, भैरव ५, रामो ६ । १९०४ डूगर १, रुदो २, नरसिघ ३, सूरो ४, सावतसी ५, जसवत ६, करण ७ । १९०५ देवडा सूरा नरसिंघोतरा वेटा तीन - सावतसी १, तोगो २, पतो ३, वगडीरा धणी जैतावत वैरसल प्रथीराजोतरा वचनसू हटे मोटै राजा मारिया आप सिरोही ऊपर पधारिया तरै ।
१९०७ आबू मत कर और तोपा, देखे फोजा डाणै ।
जव लग ऊभो पातडो, तव लग मूछा ताण ॥ ओ दूहो पता सूरावतरो है ।
१९०६ सवत १६४४ मोटो राजा सिरोही माथै गयो जद देवडो सावतसी सूरावत, पतो सूरावत, देवडो तोगो सूरावत, राडधरो हमीर कूभावत, राडघरो वीदो सिखरावत, नेतो चीवो - अ मारिया ।
१९०८. नरसिंघ देवडारो वैटो कूभो, कूभारो मेगळ जिण देवडा वणवीरनू बाह दे आण मारियो ।

Page Navigation
1 ... 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233