Book Title: Bankidasri Khyat
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 176
________________ १६२] वांकांदासरी ख्यात [ १९२३-१९४० १९२३. चहुवाण हाफो वीकमसी सगा भाई हाफै कालवा मार साचोर लिवी. वीकमसी राणुवानू मार सूराचद लिवी । १६२४ भीनमाळ चहुवाण भिलै लाखणसीरा वसमे है । राणा नींबावतरो वंस १९२५ चहुवाण राणो नीवावत राव मालदेजीरै चाकर रह्यो. सिवाणारो गाव समदरड़ी पटै पायो। १९२६ राणारे वडो वेटो लूणो बडो रजपूत हुवो. १८९० चहुवाण माडण राणावत । १९२७ चहुवाण मेहकरण राणावत दळपत उदै सिंघोतरो नानो तुरकाणीमें काम आयो। १९२८ चहुवाण महकरण राणावतरा बेटारी विगत – सिखरो १, देवीदास २, रायसल ३, रतनसी ४, रावत ५, सावतसी ६ । १९२९. दळपत उदैसिंघोतरो सगो मामो सावतसी। १९३०. चहुवाण सिखरो महकरणोत महाराज गजसिंघजीरो सुसरो। १९३१. सिखरा महकरणोतरा बेटांरी विगत - दयालदास १, रामसिंघ २ । १९३२ पीपरली चहुवाण देईदास महकरणोतरा है। १९३३. चहुवाण सावतसी महकरणोतरा बेटारी विगत - सादूळ १, गोपाळदास २, वळू ३, अचळदास ४, भीव ५, कलो ६, अजो ७ । १९३४ सादूळ महोवतखानरै चाकर. दिखणमें काम आयो, गोपाळदास दोलतखान आगै दोलतावाद काम आयो । १९३५. भीव जुझारसिंघ दळपतोत आगै काम आयो। १९३६ वळू सामतसीहोतरा तीन बेटा- नरहरदास १, सहसमल २, वेणीदास ३ - आ तीनारै वसरा साचोररै परगनै चहुवाण है । १९३७ साचोरीमे वळू सावतसिंघोतरा बेटा तीन ज्यारी तडां तीन - नरहरदा सोत १, सहसमलोत २, वेणीदासोत ३ । १९३८. ईडरमें चहुवाण फतैसिंघोत है - देईदास १, फतैसिंघ २, प्रथीराज ३, दयालदास ४॥ १९३९ कागनडै चहुवाण भोजराज दयालदासोतरा है।। १९४०. चहुवाण जैसिंघरो भैरूदास, भैरूदासरो जाजण, रावजी मालदेवजीर चाकर पहोकरण रहतो देवराजोतसू वेढ हुई जठे काम आयो ।

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