Book Title: Bankidasri Khyat
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 156
________________ १४२] वांकीदासरी ख्यात [१६६९-१६८४ १६६९. चहुवाणांरै कुळदेवी अवाय है,माणकदे चहुवाणनू साख भरी. तूठी लाखणसीनू. आसापूरी तूठी जदसू लाखणसीरा आसापूरानू पूजे है। १६७०. सवत १६०८ सांभर चहुवाण माणक हुवो। १६७१. संवत ८२२ वीसळदे चहुवाण अजमेर पाट बैठो। १६७२. वीरपाळ साहरी बेटी गौरज्या विधवा वरस तेरहरी पुसकरजी ऊपर तप करती. नवे वरस च्यार हुवा जद जवरीसुं वीसळदे इणसू रत कियो. गोरज्या वाणियाणीर पुत्र वीसळ देसू हुवो नाव आनो. गोरज्यारा सरापसू वीसळदे सकस हुवो। १६७३. प्रथीराजरा सामत ज्यामें दोय सावत खीची - पीळपीजर १, प्रसंगराव २।। १६७४. हम्मीरदेव रणथभोररा किलामे लड़े जद हमीरदेवरा उमराव रणमल १, प्रतापसी २, पातल ३, चाहडदे ४, इत्यादिक अलाउद्दीनसूमिल गढसू निसर अलाउद्दीन कनै आया हमीरदेव काम आया. पछै अलाउद्दीन आनू मराय नाखिया । १६७५. चोहाण गोगाजीरी मा वाछगंदे, पिता जीवराज, घोड़ो नीलो, हरद देवरो। १६७६. खीचियारै वारठ नाथू, मोठियो ढोली, प्रोहित काथड़ियो, भाट तिलवाडियो, आसापूरा देवी। १६७७ राघोगढ १, बजरंगगढ २, खिलचीपुरो ३ - खीचियारा ठिकाणा। १६७८. खिलचीपुररो खीची दिवाण कहीजतो। राघोगढरो खीची राजा कहीजतो। १६७९. खीचिया' • • पको कोट करायो हो, पछै उवा पथररो पको कोट करायो हो. पाछै उवा पथररो पको कोट फळोधी हमीर नरावत करायो। १६८०. खीची थारू जायलसूमे तीन कोट कराया. खीची गोपाळदास । १६८१. मोटा राजारी वेटी जतसिंघरी वहन परणियो । १६८२. खीची सारगदेरो जीदराव बारूरॉ वुधारो भाणेज। १६८३ जावल खीची गोरधन वायारो व्याव कियो जद चारणा कह्यो- पा कर गीत कहो ज्यामें जायल ठिकाणो वरस गुणचाळीसौ डायज हाथी दियो इतो वरणन जरूर करसी। १६८४ गांगुरणरो धणी खीची भोज जिणरै राणी सकळादे जिणसू अचळदास पुत्र प्रगट हो।

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