Book Title: Bankidasri Khyat
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 170
________________ १५६] वांकीदासरी ख्यात [ १८५५-१८६६ सिरोही माहेसू काढ दियो पछे वीजो जगमाल उदैसिंघोतसू मिलियो. जगमालजी पातसाह कनासू सारी सिरोही ही लिखाय दिवी । १८५५ सवत १६४६ मोटा राजा पातसाही चाकर जामवेग जिणनू साथै ले वीजा हरराजोतनू साथै ले राव सुरताण ऊपर गया, राव रायसिंघजीरो वैर वालण। १८५६ वीजाजी आपरा साथसू आबूरी गाळमे गया राव सुरताणरै साथरा मारिया। १८५७ राव सुरताण सवत १६६७ रा असाढ वद ८ रामसरण हुवो नै राणी ७ रजपूत ५ साथै बळिया। १८५८ राव सुरताणरी गादी राजसिंघ । १८५९ देवडो भैरव समरारो वडो रजपूत हुवो। १८६० महादेवजी जातानू राव राजसिघरी वारमे देवड़ा प्रथीराज सूजावतरा भाई भतीजा मारियो। १८६१ राव सुरताणरो बेटो सूरसिंघ जिणनू राव कियो अहमदावादसू दिखणर ___ मुहिम पधारता महाराज सूरजसिघजी सिरोही पधारिया सवत १६६९ जद सुरताणरी गादी राव रायसिंघ हुतो जिणनू काढ दियो । १८६२ पछै राव रायसिंघजी सिरोही लिवी सूरजसिंघनू देस मायसू काढ दियो। सवत १६७२ रावळासू भाद्राजण पटै दिवी गाव २५ सू सवत १६७५ राव सूरसिघजी भाद्राजण रामसरण हुवो । १८६३ सूरसिंघरै वेटो सवळसिंघ' गावा २४ सू भाद्राजण पटै पायी पछै सवत १६७७ भाद्राजण छूटी जद सबळसिंघ राव अखैराजरै चाकर रह्यो गाव काछोली दियो । १८६४ जगमालरो अखैराज उडणो राजसिंघरो अखैराज पाडरो कहाणो । १८६५ सिरोही राव अक्षराजरो कवर उदैभाण, महगसिया राठोडारो भाणेज जिण रावनू पकड कैद कियो। १८६६ कवर उदैभाण गाव मठाड थाणो हुतो उठे रजपूतानू लालच दे आपरै अधीन किया मुदै ठाकुर पाच - डूगरोत रामो भैरवोत १, डूगरोत ठाकुरसी मैरावत २, डूगरोत उगरो जसवत वीजावतरो ३, राजसी चीबो ४, उदैसिघ दूदाणी ५, वीजा ही डूगरोत सौ, चीवा सौ, देवळ वाघेला जेठुआ भेळा. सीसोदियो साहिवखान, महेसदास गोपाळदासोत आधाइक मालणसू आने अवसी भेळा हुआ नही कवर उदभाण मठाडसू चढ राणकवाड़े डेरा किया.

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