Book Title: Bankidasri Khyat
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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१७०९-१७२१] चौहाणारी वातां
[१४५ १७०९. संवत १६२५ पातसाह अकबरनू सुरजण रणथभोर सूपवी। १७१०. राव सुरजणरा वेटारी विगत – दूदो १, भोज २, रायमल ३ । १७११. दूदो सुरजणोत चापावत जैसिंघ भैइदासोतरो दोहितो राव सुरजनरै कवर
दूदो वडै डील वडो रजपूत हुतो उणनू उणरा झारीवरदार बिरामण
जिगर हाथ कवर भोज सुरजणोत जहर दिरायो दूदारै बेटो नरहरदास । १७१२ बूदी राव सुरजण जिणरो वडो कवर दूदो जिणनू विख दे कंवर भोज
मरायो राव सुरजण उदास रूप कासी गयो मणकरणकामें सिनान करता
देह तजियो। १७१३ हाडा कवर दूदा सुरजणोतनू पातसाह अकबर सिरपाव दियो । १७१४. राव भोज सुरजणोत अहाडा राव जगमाल उदैसिंघोतरो दोहितो। १७१५. संवत १६६० पातसाह अकबररी मा मुयी आगरा माहे जद सारा राजा
राव भद्र हुवा. राव भोज हाडौ नै राव दुरगो चद्रावत औ भदर हुवा नहीं। १७१६ बूदी राव भोज वडो अडपदार सिरदार हुवो हाथीरो वडो असवार हुतो.
पातसाहरा मसत हाथी किणीसू ही पकडीजता नही उवां हाथी राव भोज
चढतो अकवर ज्यू । १७१७. राव भोज सुरजणोतरा बेटारी विगत – रतन १, रिदैनारायण २, केसोदास ३,
मनोहरदास ४- अ च्यार बेटा भोज सुरजणोतरा । १७१८. राव रतन भोजरो बालोत सोळंकी ज्यारो भाणेज । १७१९. रावराजा रतन राव भोजरो बेटो बूदी वडो ठाकुर हुतो साहजादो खुरम
पातसाह जहागीरसू वागी हुवो जद संवत १६८० साहजादो परवेज नै नबाब महोबतखां बुरहानपुरसू पूरवनू रवाना हुवा खुरमनू हरावण तद बुरहानपुररो सूबो राव रतनन भोळायो पचहजारी मनसब दियो तदसू ठाकुराई बूदीरी वधी. पछे वादसाहजी दिखणमें खानजहा लारै बुरहानपुर गया
सवत १६८७ बालासुर माहे राव रतन रामसरण हुवो। १७२०. कवर गोपीनाथ राव रतनरो कछवाहा भगवानदास भारमलोतरो दोहितो। १७२१ कवर गोपीनाथ राव रतनरो राव बैठा राम कह्यो राव सत्रसाल गोपी
नाथोत राव रतन आप बैठा इणनू रावाई दिवी. पातसाह बूदीरो टीको सत्रसालनू दियो राव रतनरी अरजसू सवत १६६३. राव सत्रसालरा बेटारी विगत ।

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