Book Title: Bankidasri Khyat
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 137
________________ [१२३ १४००-१४१०] कछवाहारी वातां विचारी औ समाचार जायल नवघणनै लिखिया. नव लाख घोडासू नवघण सिंधमे आयो नव लाख लोवडियाळरी क्रासू सूमरानू मार सिंध लिवी । १४०१. आधो अरब सरवहियै राव खगार लूणपाळ मिहडनै दियो। । १४०२. गिरनार राव खगार सरवहियो हुवो जिण पचास कोड नै नवमी सोरठा महडू लूणपाळनू दिवी दूजो राव खगार जाडेचो हुवो जिण भुज वसायो । १४०३. जूनागढरो धणी राव खगार जिणनू वावळरी डाळ माशै बैठे छुमण चारण दया पाळण तयार कियो हूं जाणू द्रह वज्रडी, जिण भाखे जिण लग्ग । ओ दूहो सुणाय नै। १४०४. राव खगार गिरनाररो धणी सरवहियो हुवो. कछरो धणी जाडेचो हुवो। कछवाहां १४०५. कछवाहारो राज थेटू पूरवमे रोहितासगढ जठे उठासू नरवर वसिया नरवरसू दोसै ठकुराई बाधी दोसासू आबेर आबेरसू जैपुर । १४०६ आबेररा राजारी पीढिया लिखते-राजा दूलै राय १, राजा काकिल २, राजा हणुमतसी ३, राजा महड ४, राजा पजून ५, राजा मलसी ६, राजा वीजळसी७, राजा राजळ ८, राजा कल्याणसी ९, कुतल १०, जूणसी ११, उदैकरण १२, वीरसिंघ १३, वणवीर १४, चद्रसेन १५, प्रिथीराज १६, भारमल १७, भगवतसिंघ १८, मानसिंध १९, जगतसिंघ २०, महासिंघ २१, जैसिंघ २२, रामसिंघ २३, किसनसिंघ २४, विसनसिंघ २५, सवाई जैसिंघ २६, माधोसिंघ २७, प्रतापसिंघ २८, जगतसिंघ २९, सवाई जैसिंघ ३० । १४०७ राजा उदैकरण कछवाहो आबेर-पत जिणर तीन बेटा हुवा - वरसिंघ १, नरसिंघ २, वालो ३. वरसिंघ आबेररी गादी बैठो जिणरा राजावत. नरसिंघरा नरूका. वालारो मोकळ, मोकळरै सेखो सेखारा सेखावत । १४०८ कछवाहारी वसावळी-कुतल १, जीवणसी २, उधरण ३, चादणो ४, प्रिथिराज ५ राजा प्रिथीराजरा राजावत कहाणा १४०९ राजा प्रिथीराजरै बेटा तेरह-भारमल १, रतनसी २, भीव ३, सागो ४, बळभद्र ५, सुरताण ६, परताप ७, जगमाल ८, रूपसी वैरागर ९, डूगरसी १० कल्याणमल ११, गोपाळ १२, चत्रभुज १३ । नाथो गोपाळरो जिणरा नाथावत कहीजै जगमालरो खगार तिणरा खगारोत कहावै । १०१५

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