________________ अध्याय - छः जैन शिल्पकला भाग-अ पार्श्व, महावीर, बाहुबलि ___ बादामी चालुक्यों की प्राचीनता तथा वैशिष्ट्य को असंदिग्धता से स्थापित करने का श्रेय कला तथा शिल्पकला के इतिहासकारों के निरंतर प्रयास तथा अनुसंधान को ही जाता है। दक्षिणी शिल्पकला के क्षेत्र में चालुक्यों के शासन में उत्खनन की अनोखी शैली तथा संरचनात्मक मंदिरों का शुभ-संकेत दिया था और विपुल मात्रा में स्मारकीय अवशेष पीछे छोड दिए। . चालुक्यों के युग में जैन संघ के उतार चढाव की विशेषता पर विचार कर, उसके धीरे धीरे विकसित होने की प्रक्रिया का संक्षिप्त परिचय देने से, उचित परिप्रेक्ष्य में उनकी स्थिति को समझने में आसानी होगी। ____ अशोक के शिलालेख (XIII) यह घोषित करते हैं कि ऐसा कोई देश नहीं जहाँ ब्राह्मणों तथा श्रमणों का (बौद्ध तथा जैन) अस्तित्व ही नहीं होगा। जैनों ने कला, संस्कृति तथा साहित्य के विकास में Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org