Book Title: Bahubali tatha Badami Chalukya
Author(s): Nagarajaiah Hampa, Pratibha Mudaliyar
Publisher: Rashtriya Prakrit Adhyayan tatha Anusandhan Sanstha

Previous | Next

Page 190
________________ 146 | बाहुबलि तथा बादामी चालुक्य जिनेंद्रालय के लिए रविकीर्ति द्वारा लिखित असाधारण शिलालेख दर्शक दीर्घा के बाहरी दीवार के दाहिने ओर लगाए गए हैं। एक के ऊपर एक मंजिलवाले मंदिर की परिकल्पना का यह पहला एकमात्र मंदिर है जिससे परवर्ती काल में इस प्रकार के शिल्पकला की शैली में बने मंदिर निर्माण की शुरुवात हुई। दो मंजिलों वाले मंदिर की सरंचना को प्राथमिकता देना उत्तर मध्यकाल तक चलता रहा। इतना ही नहीं जिन मंदिर शिल्पों में ऊपर वाला मंदिर बनवाना जैसे एक आम बात हो गई। से िगेव्व बसदी (ऐहोळे), पट्टदकल्ल हसदी, तथा हल्लुर का पार्श्व जिनालय राष्ट्रकूटों के प्रारंभिक युग के इन तीनों मंदिरों में ऊपर मंदिर बनाने की शैली को थोडी सी भिन्नता के साथ अपनाया गया, जैसे अर्धमंडप। चालुक्यों के सांस्कृतिक वैभव तथा शिल्पकलागत उपलब्धि का सर्वप्रथम उदाहरण मेगुडी है। प्रदक्षिणा पथ की परिकल्पना जैन शिल्पकला में उत्तर मध्यकाल में समा गयी। चालुक्यों के युग का लेखक जो एक महान साहित्यकार तथा उपदेशक जटासिंहनंदी के वरांग चरित में इसका उल्लेख है। __ मेगुडी उसके शिल्पगत वैशिष्ट्य से अधिक उसकी प्राचीनता के कारण प्रभावशाली बनता है। हालाँकि यह मंदिर रचना में एकदम सामान्य है किंतु इसका महत्व संरचनात्मक वास्तुकला के विकास में उसकी ऐतिहासिक भूमिका के कारण है। इसकी कई विशेषताएँ हैं जो निम्नलिखित हैं। 1. प्राकृतिक रमणियता से परिपूर्ण. 2. प्राचीन चालक्य युग का एकमात्र तिथियुक्त मंदिर 3. प्राचीनतम जिनालय जिसमें शासनदेवता की स्वतंत्र प्रतिमा प्रतिष्ठापित है। 4. पहला विद्यमान मंदिर जिस पर एक और मंदिर है। 5. सबसे पहला मंदिर जिसमें गर्भगृह, प्रदक्षिणा पथ, सुखानासी तथा अर्धमंडप, खबों से युक्त दालीन तथा ऊपरी मंदिर है। 6. सबसे पहला मंदिर जिसे एक दरबारी कवि ने बनवाया। 7. . दक्षिण का पहला मंदिर जिसमें अंबिका की प्राचीन प्रतिमा प्रतिष्ठापित है। सबसे बड़ा वैशिष्ट्य यानि उसके मंदिर की दीवार पर बने कु स्तम्भ तथा आले जो पहले यहाँ से शुरु हुए फिर जिन की नकल लाडखान तथा जंबुलिंग मंदिर में की गई। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236