Book Title: Bahubali tatha Badami Chalukya
Author(s): Nagarajaiah Hampa, Pratibha Mudaliyar
Publisher: Rashtriya Prakrit Adhyayan tatha Anusandhan Sanstha

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Page 219
________________ बाहुबलि तथा बादामी चालुक्य | 175 तो इनमें से कुछ तो तुरंत गाये जाते हैं / ये श्लोक मन तथा हृदय को एकाकार कर देते हैं और दिव्यता को ग्रहण कर लेते है। (नागराजय्य हंप: 2003 : 16). ___ पाँचवी, छठी तथा सातवीं सदी के प्राचीन पुरालेख संस्कृत तथा कन्नड भाषा में लिखे गए और वे भाषा वैज्ञानिक तथा सुलेखन का उमदा उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। वे जितने ऐतिहासिक तथा धार्मिक महत्व के है उतने ही कर्नाटक के विभिन्न प्रदेशों में जैन मत के प्रसार के लिए हैं। और आश्चर्य की बात यह है कि पाँचवी तथा छठी सदी में पुरालेखिय भाषा के रूप में कन्नड ने न केवल प्राकृत का बल्कि संस्कृत का भी स्थान ले लिया। हालाँकि संस्कृत का उपयोग पुरालेखों में होता ही रहा, किंतु कन्नड जैनधर्म के पुरालेख की प्रमुख भाषा हो गई। . Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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