Book Title: Bahubali tatha Badami Chalukya
Author(s): Nagarajaiah Hampa, Pratibha Mudaliyar
Publisher: Rashtriya Prakrit Adhyayan tatha Anusandhan Sanstha

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Page 224
________________ बाहुबलि तथा बादामी चालुक्य | 179 अपना आधिपत्य थामकर उसने कई छोटी छोटी रियासते चालुक्यों के अधिन लायी। कोई भी शाही राजवंश राजनीतिक बल का अपवाद नहीं है। राष्ट्रकूटों की शक्ति, जो दिन ब दिन बढती जा रही थी, और वे दो सौ साल के लिए अजेय और अभेद्य बन गए, जैसे कि यादवों में कृष्ण के जन्म के बाद। चालुक्य अपनी पराजय से उबरने के लिए चिंतित थे और उनको दो सौ साल अज्ञातवास में जाना पडा ताकि वे फिर संग्रहित होकर अपना बल इकट्टा कर प्रतिकार कर सकें। हैरानी की बात है कि राष्ट्रकूटो को कुचलने तथा उनपर आधिपत्य करने के लिए उनकी अव्यक्त शाही क्षमता उचित अवसर आते ही सामने आयी। चालुक्यों ने एक विशाल प्रदेश, जो चार महासागर से बंधा था, का अधिपति बनने की शाही आभा अर्जित की और एक नए स्वर्णिम युग ( दसवीं शताब्दी से बारहवीं शताब्दी तक) का आरंभ किया। . रणधीर तथा रणराग जैसी गौरवशाली उपाधियों को चालुक्यों तथा सांतरों ने नियोजित किया। संभवतः तमिलनाडु के पांण में भी इसप्रकार की पदवियों के शौकीन थे, प्रारंभ में वे अपनी नामपद्धति में इस प्रकार के विशेषणों का इस्तेमाल किया करते थे। हमें कुछ नाम मिलते हैं, जैसे शादियन कोच्चदैयन रणधीर (794-800) अरिकेसरी का पुत्र असमसम मारावर्म रणराग। ____ चालुक्यों का इतिहास पुरातात्विकों को तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिकधार्मिक परिस्थिति के साथ साथ कला, शिल्पकला, तथा साहित्य के इतिहास पर अनुसंधान करने के लिए सुविधा प्रदान करता है। इस काल के दौरान, कुछ व्यक्तिगत नाम उनके संक्षिप्तीकरण से बहुत लोकप्रिय हुए, जैसे, सोमशेखर प्रथम का पुत्र विक्रमादित्य विक्की के नाम से जाना जाता था। उसी प्रकार से विजयादित्य का पुत्र विक्रमादित्य बिक्की नाम से जाना जाता था। कीर्तिवर्मन का उपनाम था क िअरस तो कार्तवीर्य का उपनाम था कत्तम अथवा कत्ता। __ चालुक्यों ने एक अच्छे प्रशासन तथा पड़ोसियों से सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित कर उसका आनंद लिया जो कि उनके उत्तराधिकारियों ने आदर्श परंपरा के रूप में पाया। प्रत्येक महत्वपूर्ण राजा के दरबार में कवि- विद्वानों की नियुक्ति करने में चालुक्य अग्रणी माने जाते हैं। रविकीर्ति कर्नाटक का प्रथम तथा सर्वोपरि कवि था। चालुक्यों का एक और वैशिष्ट्य की अपूर्वता की सूची में एक और बात अगर जोडनी हो Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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