________________ बाहुबलि तथा बादामी चालुक्य | 185 है। एक सुंदर आयाताकार चौखट के केंद्र में तीन पंखुड़ियों की पंक्तियों से युक्त विशाल खिला कमल है और जिसके चारों कोनों में चार कमलपदक भी हैं। फूलों का डिजाइन, मछलियों की जोडी, मकर तथा अन्य शुभ वस्तुओं की बुनावट कमल के फूलों के बीच के स्थान को आच्छादित करते हैं। केंद्रीय कमल के मध्य भाग की किनार में गुलाब की नक्काशी है। परवर्ति युग में डिजाइन संरचना में अभिघटनात्मकता (प्लास्टिसिटी) की कमी रही। ऐहोळे जैन गुफा के द्वारमण्डप की छत में पवित्र स्वस्तिक को खुदवाया गया था। जैन स्मारक तथा मुर्तियों की क्रमानुसार सारणी1. आडूरु - जिनेंद्रभवन- ई.स. 700 2. ऐहोळे जैनगुफा- 580 जिनेंद्र भवन (मेगुडी) 634-35 दो छोटी गुफाएँ- 'सातंवीं सदी का पूर्वार्ध अंबिका की प्रतिमा-635 ज्वालामालिनी तथा श्याम यक्ष- प्रतिमा सातवीं सदी का उत्तरार्ध 3. अण्णिगेरी- (अण्णिगेरे) चेदिया- 751-52 4. बादामी- जैन गुफा-590-95 5. बेजवाड (आधुनिक विजयवाडा) नेडुंबिवसति सातवीं सदी-पूर्वार्ध 6. भाल्कि-तीर्थंकर प्रतिमा- आठवीं सदी का मध्य अंबिका प्रतिमा- आठवीं सदी का पर्वार्ध 7. गडि केशवार- अर्हत पार्श्व- सातवीं सदी का पूवार्ध 8. केल्लिपुसूरु- जिनालय-सातवीं सदी का मध्य 9. किरुव केरे-(करटगेरि), शांतिभागवत- 600 10. किसुवोळल (पट्टदकल्ल)- जिनभवन- ई.स. 560 11. मल्लसमुद्र- जिन पार्श्व-लगभग सातवीं सदी 12. नंदगिरि- जिनालय- ई.स. 750 13. पोंबुच- (हुमचा) बोगार बसदी- आठवीं सदी का पूर्वार्ध 14. पुलिगेरे- आणेसेज्जेय बसदी- सातवीं सदी धवल जिनालय- सातवीं सदी का पूर्वार्ध Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org