________________ 156 | बाहुबलि तथा बादामी चालुक्य का निर्माण हुआ। शंखबसदी तथा अनंतजिनालय बसदी जो शेष हैं, मात्र अपने पूर्व आकार प्रकार की मात्र नकल ही है। पाँच गर्भगृह वाले दोंनों मंदिर चालुक्य शिल्पकला की शैली में बनवाए गए थे। किंतु एक बार फिर ये 15 वीं सदी में दक्कनी सल्तनत के दौरान नष्टप्राय होने लगे थे। सुंदर तथा प्रसिद्ध शंखजिनालय ने काफी विध्वंस का सामना किया और इसके पाँच विमानों की दीवारें बुरी तरह से टूटी हैं। गहरी खाइयाँ जहाँ भी च ानों में खुलती है पत्थर से भरी हैं। __सौभाग्यवश, अनंतनाथ बसदी, 14वें तीर्थंकर को समर्पित की गई थी, जिसे थोड़े अच्छी तरह से सुरक्षित रखा है। भीतर पृष्ठ-दालान का श्रीकार स्तम्भ यही सूचित करता है कि उक्त मंदिर का पुनर्निमाण किया गया था लेकिन इस स्तम्भ को वैसे ही रखा था। ऊपर जिन अन्य मंदिरों का उल्लेख किया गया है वे चालुक्यों के परवर्ती काल के हैं। धवल जिनालय, आंनेसज्जे बसदी तथा मोक्कारा बसदी चालुक्य-काल के प्राचीन तथा समकालीन मंदिर थे। ___छठी सदी के आस-पास होजेश्वर मंदिर के अलावा अन्य सुरक्षित मंदिरों में से स्वयंभु सोमेश्वर मंदिर भगवान शिवजी को समर्पित हैं। इसके अलावा ब्रह्मशिव (1175).... एक जैन कवि ने कहा है कि इस शिव मंदिर को ही जैन मंदिर से बदल दिया गया था। ब्रह्मशिवा का काल स्वयंम्भु मंदिर के निर्माण के आसपास होने के कारण उसके विचार को अनदेखा नहीं किया जा सकता। अतः कहाँ और कब भी महत्वपूर्ण है। तथापि, वर्तमान सोमेश्वर देवालय का शिल्प जैन अवशेषों को प्रकट नहीं करता। हालांकि ब्रह्मशिव के कथन का कोई ठोस सबूत नहीं है। हो सकता है कि सोमनाथ (सोमेश्वर) मंदिर की जमीन मूलतः एक नष्टप्राय जिनालय की रही हो अतः इस प्रकार की बातें जडें पकडने लगी। राजनीतिक आवश्यकता के तहत मौलिक प्रतिमाओं में से कुछ प्रतिमाएँ लक्ष्मेश्वर (पुलिगेरे) में वर्ष 1999 में प्रकाश में आयीं। पुरी छान-बीन तथा विचारविमर्श के बाद इस पुस्तक के लेखक ने हाल ही में किए गए उत्खनन में पायी गयी प्राचीन जैन प्रतिमाओं में एक प्रतिमा को मूलनायक (तीर्थंकर) की प्रतिमा के समान पाया जो कभी आंजनेय बस्ति में प्रतिष्ठापित की गयी थी, जिस बस्ति को आळुपा चित्रवाहन की रानी, विनयादित्य की पुत्री, तथा विजयादित्य वल्लभ की बहन कुंकुम देवी ने बनवाया था। कुछ शाही आधारशिला पर राजाओं, रानियों तथा राजकुमारियों के नाम पायें जाते हैं, जिन्होंने इन मंदिरों के लिए निधियाँ दी थी या फिर मंदिर निर्माण किए Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org