________________ 160 | बाहुबलि तथा बादामी चालुक्य के सूक्ष्म अंश को ग्रहण किया। अंबिका, जिन पार्श्व, बाहुबलि, ज्वालामालिनी, तथा श्याम के मामले में कुशल शिल्पकारों ने उनके जीवन चक्र से जुडी पौराणिक घटनाओं को प्रशंसनीय रूप से बदल दिया। जैन परिकल्पना के मंदिर क पुननिर्माण करने के लिए प्रादेशिक तथा भारतीय मंदिर शिल्पकला की सारी प्रवृतियों का सुमेलन करना पडा। संक्षेप में, इस प्रकार की प्रवृत्ति को जारी करते समय जैन कला तथा शिल्पकला को बढावा देने के लिए बहुत काम किया तथा इससे सबसे अधिक फायदा राष्ट्रकूटों को हुआ। हालाँकि ईट परंपरा शिला परंपरा के साथ साथ डटी रही, फिर भी चालुक्यों ने शिला परंपरा को ईटों से अधिक मान्यता दी यह जाहिर है। पट्टदकल्ल के जैन मंदिर में एक योजनाबद्ध ईटवाला मंदिर पाया गया, जो कि इस युग का सबसे प्राचीन मंदिर है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org