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अर्हत् वचन कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर
वर्ष -
19 अंक 3 जुलाई सितम्बर 2007, 7-22
वृक्ष एवं तीर्थंकर
■ नरेन्द्र नमि *
सारांश
जैन परम्परा में पर्यावरण संरक्षण एवं वृक्षों पर विपुल सामग्री उपलब्ध है । प्रत्येक तीर्थंकर के दीक्षा वन, के वस्यवृक्ष एवं समवशरण के अन्तर्जत अष्टभूमियों के वर्णन में वृक्षों की प्रकृति के बारे में यथेष्ट सामग्री उपलब्ध है।
प्रस्तुत आलेख में प्रत्येक तीर्थंकर के केवल्य वृक्ष का नाम, संस्कृत नाम, लैटिन नाम एवं औषधीय महत्व की विवेचना की गई है।
सम्पादक
पर्यावरण संरक्षण को अब गंभीरता से लिया जा रहा है। पर्यावरण में परिवर्तन से जहाँ नदियों का जलग्रहण क्षेत्र घट रहा है वहीं भूमि का जलस्तर बहुत नीचे जाकर लुप्त होने की स्थिति में है। मौसम में तेजी से परिवर्तन होने के साथ फरवरी में तेज गर्मी एवं मार्च में ठंड अनुभव हो रही है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार अमेरिका में गर्मियों में आये तीन बड़े चक्रवाती तूफानों का कारण भी यही है। मौसम परिवर्तन से जहां फसलों पर प्रभाव पड़ रहा है वहीं मानव स्वास्थ्य भी प्रभावित हुआ है। पर्यावरणविदों के अनुसार बढ़ रहे तापमान को सुधारने का उपाय है कि ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन न्यूनतन किया जावे तथा बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया जाये।
पौधों, जन्तुओं (जिसमें मनुष्य सम्मिलित हैं) तथा उनके समस्त वातावरण में आपसी संबंध है ये पारस्परिक क्रिया करते रहते हैं तथा एक दूसरे पर अन्योन्याश्रित हैं। वे दूसरे को प्रभावित करते हैं। यह तंत्र यदि संतुलित है तो स्वचालित एवं स्वावलम्बी होता है। हमारा Eco-System अनियोजित विकास के कारण प्रभावित हुआ है।
मानव जाति का अस्तित्व वृक्ष तथा वन पर अत्यंत निर्भर है। वन वातावरण, जलचक्र, मृदा की स्थिरता को सुनिश्चित करते हैं। जंगली पशुओं को उचित भोजन तथा रहने के लिये उचित स्थान प्रदान करते हैं तथा वायु प्रदूषण को घटाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
पर्यावरण दूषित न होने के लिए संविधान के अनुच्छेद 48 ए में निदेशात्मक सिद्धान्त (Directive Principles) बताये गये हैं तथा अनुच्छेद 51 ए (G) में बुनियादी कर्तव्य बताये गये हैं। जिसके अनुसार प्रत्येक भारतीय नागरिक को पर्यावरण की सुरक्षा और उसके विकास के लिए कर्तव्य परायण रहना चाहिए। ये प्रावधान 1976 में किये गये हैं ।
Article 48 A-Protection and improvement of environment and safeguarding of forests and wild life. The state shall endeavour to protect and improve the enviroment and to safeguard the forests and wildlife of the country.
Article 51 A (G) reads thus -
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To protect and improve the natural environment including forests, lakes, riv ers and wildlife and to have compassion for living creatures.
भारतीय वन अधिनियम 1927 (क्रमांक 16 / 1927) में वन तथा वृक्ष को निम्नानुसार उल्लिखित किया है
* महाप्रबंधक - उद्योग विभाग, म.प्र. शासन, निवास: बी-120, विद्या नगर, होशंगाबाद रोड, भोपाल (म.प्र.)
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