Book Title: Arhat Vachan 2007 07
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 86
________________ (ज्ञानोदय इतिहास पुरस्कार) श्रीमती शांतिदेवी रतनलालजी बोबरा की स्मृति में श्री सूरजमलजी बोबरा, इन्दौर द्वारा स्थापित ज्ञानोदय फाउण्डेशन के सौजन्य से कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर द्वारा ज्ञानोदय पुरस्कार की स्थापना 1998 में की गई है। यह सर्वविदित तथ्य है कि दर्शन एवं साहित्य की अपेक्षा इतिहास एवं पुरातत्व के क्षेत्र में मौलिक शोध की मात्रा अल्प रहती है । फलत: यह पुरस्कार जैन इतिहास के क्षेत्र में मौलिक शोध को समर्पित किया गया है। इसके अन्तर्गत जैन इतिहास के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र/ पुस्तक प्रस्तुत करने वाले विद्वान् को रुपये 11000/-की नगद राशि, शाल एवं श्रीफल से सम्मानित किया जाता है। अद्यतन पुरस्कृत विद्वानों एवं उनकी कृतियों का विवरण निम्नवत् है1998 डॉ. शैलेन्द्र रस्तोगी, लखनऊ (उ.प्र.) "जैन धर्म कला प्राण ऋषभदेव और उनके अभिलेखीय साक्ष्य' 1999 प्रो. हम्पा नागराजैय्या, बैंगलोर (कर्नाटक) 'A History of the Rastrakūtas of Malkhed and Jainism' 2000 डॉ. अभयप्रकाश जैन, ग्वालियर (म.प्र.) 'जैन स्तूप परम्परा' 2001 श्री सदानन्द अग्रवाल, मेण्डा रोड़ (उड़ीसा) 'खारवेल' 2002 डॉ. जी. जवाहरलाल, तिरुपति (आ.प्र.) Jainism in Andhra (As depicted in inscriptions)' 2003 श्री रामजीत जैन एडवोकेट, ग्वालियर (म.प्र.) 'गिरनार माहात्मय' 2004 प्रो. ए. इकम्बरानाथन, चेन्नई (तमिलनाडु) 'Jaina Iconography in Tamilnadu' 2005 श्री सूरजमल खासगीवाला, भिवन्डी (महाराष्ट्र) 'जैन इतिहास' 2006 ब्र. संदीप जैन 'सरल', बीना _ 'पांडुलिपि संरक्षण एवं संकलन कार्य हेतु' कोई भी व्यक्ति पुरस्कार हेतु किसी लेख या पुस्तक के लेखक के नाम का प्रस्ताव (सामग्री सहित) प्रेषित कर सकता है। चयनित कृति के लेखक को रु. 11000/- की राशि, शाल, श्रीफल एवं प्रशस्ति प्रदान की जायेगी। साथ ही चयनित कृति के प्रस्तावक (कृति सहित प्रस्ताव भेजने वाले) को | भी रु. 1000/- की राशि से सम्मानित किया जायेगा। 2007 के पुरस्कारों हेतु प्रस्ताव सादे कागज पर एवं सम्बद्ध कृति/आलेख के लेखक तथा प्रस्तावक के सम्पर्क के पते, फोन नं. सहित 31 अक्टूबर 2007 तक मानद सचिव, कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, 584 महात्मा गांधी मार्ग, तुकोगंज, इन्दौर - 452 001 के पते पर प्राप्त हो जाना चाहिये। जैन विद्याओं के अध्ययन/अनुसंधान में रूचि रखने वाले सभी विद्वानों/ समाजसेवियों से आग्रह है कि वे विगत 5 वर्षों में प्रकाश में आये जैन इतिहास/पुरातत्त्व विषयक मौलिक शोधकार्यों के संकलन, मूल्यांकन एवं शोधकों को सम्मानित करने में हमें अपना सहयोग प्रदान करें। देवकुमारसिंह कासलीवाल सूरजमल बोबरा डॉ. अनुपम जैन अध्यक्ष पुरस्कार प्रायोजक मानद सचिव 80 अर्हत् वचन, 19 (3), 2007 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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