Book Title: Aptamimansa Tattvadipika
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

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Page 12
________________ आत्म-निवेदन श्री गणेशप्रसाद वर्णी जैन ग्रन्थमालाको प्रबन्धकारिणी समितिने अनेक वर्ष पूर्व एक प्रस्ताव पास करके मेरे द्वारा लिखित 'आप्तमीमांसातत्त्वदीपिका' को प्रकाशनार्थ स्वीकार कर लिया था। कई वर्ष तक इसकी पाण्डलिपि वर्णी ग्रन्थमालाके मंत्रीजीके पास प्रकाशनार्थ रक्खी भी रही। किन्तु अभी तक वर्णी ग्रन्थमालाकी ओरसे इसका प्रकाशन नहीं किया गया । अतः सितम्बर '७४ में मैंने वर्णी ग्रन्थमालाके मंत्रीजीसे अपनी रचनाकी पाण्डुलिपि वापिस ले ली। मेरी इच्छा थी कि भगवान् महावीरकी पच्चीसवीं निर्वाण-शताब्दी वर्ष में पूज्य १०८ गणेश वर्णी महाराजकी जन्म-शताब्दीके पूण्य पर्व पर इसका प्रकाशन हो जाय तो उत्तम रहेगा । और यह सब पूज्य वर्णीजीके पुण्य-प्रताप और आशीर्वादका ही फल है जिसके कारण इस ग्रन्थका प्रकाशन इतने शीघ्र सम्भव हो सका है। उत्तर कालमें ही नहीं किन्तु विद्यार्थी जीवनमें भी मुझे पूज्य वर्णीजीका स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त रहा है । और उनके द्वारा संस्थापित श्री स्याद्वाद महाविद्यालयमें अध्ययन करके ही मैं कुछ योग्य बन सका हुँ । अतः वर्णी-शतीकी पुनीत मंगल वेलामें श्री वर्णी-संस्थानकी ओरसे इसके प्रकाशन द्वारा प्रातःस्मरणीय पूज्य वर्णीजीकी पुण्यस्मृतिमें इसको समर्पित करके मैं अपनेको कृत्यकृत्य अनुभव कर रहा हूँ। __ वर्णी-ग्रन्थमालाके मंत्रीजीसे पाण्डुलिपि प्राप्त करनेके अनन्तर मैंने श्री गणेश वर्णी जैन संस्थानके उपाध्यक्ष श्रीमान् सिद्धान्ताचार्य पं० फूलचन्द्रजी शास्त्रीसे इसके प्रकाशनके लिए निवेदन किया। परम हर्षकी बात है कि आपने मेरे निवेदन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया और इसके शीघ्र प्रकाशनकी व्यवस्था करके जिस महती श्रुतनिष्ठा और आत्मीयतोका परिचय दिया उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। आप मेरे गुरुतुल्य हैं और प्रारम्भसे ही मेरी प्रगतिके लिए तन, मन और धनसे सदैव उद्यत रहे हैं। श्रीमान् सिद्धान्ताचार्य पं० कैलाशचन्द्रजी शास्त्री तो मेरे विद्यागुरु और पथ-प्रदर्शक रहे हैं। मैं जो कुछ भी हूँ वह आपकी ही छत्रछायाका प्रतिफल है। प्रारम्भसे ही मेरे ऊपर आपका विशेष स्नेह रहा है और आपका आशीर्वाद तो मुझे सदा ही प्राप्त रहा है । काशीको अपना कार्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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