Book Title: Anusandhan 2008 06 SrNo 44
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 7
________________ आवरणचित्र-परिचय विहारयात्रा दरम्यान क्यारेक कोई नानकडा क्षेत्रमां कोई मन्दिरमां प्राचीन धातुप्रतिमा नजरे चडी जाय, अने तेनो लेख वांचीए त्यारे कांईक अपूर्व लाध्यानो हर्ष अनुभवाय. आ वखते विहारमां आवी ज एक धातुप्रतिमा, संवत् १२४४ नी साल धरावती, जोवा मळी गई. सद्भाग्ये एक गृहस्थ पासे केमेरो होतां तेनी तसवीर लेवडावी लीधी हती. तेनी आगळ-पाछळनी बन्ने बाजनी तसवीरो अत्रे आपेल छे. प्रतिमाना पृष्ठ ! भागमां वंचातो लेख कांईक आवो छ : ___ "सं० १२४४ माघ शुदि ३ इवौ साधु मानदेवउप्र( ?) ! वोहडिश्रेयोर्थं सुत उद्धरणेन श्रीमहावीरबिंबं कारितं । प्रतिष्ठिता सूरिभिः ।" L-------- ----- Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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