________________ जान के पांच प्रकार (3) तीर्थकरसिद्ध-विश्व में लौकिक लोकोत्तर पदों में तीर्थंकर का पद सर्वोपरि है / जो इस पद की प्राप्ति करकेसिद्ध हुए हैं वे तीर्थंकरसिद्ध हैं / (4) अतीर्थंकरसिद्ध-तीर्थंकर के अतिरिक्त अन्य जितने चक्रवर्ती, बलदेव, माण्डलिक, सम्राट्, प्राचार्य, उपाध्याय, गणधर, अन्तकृत् केवली, सामान्य केवली आदि सिद्ध हुए वे अतीर्थंकर सिद्ध कहलाते हैं। (5) स्वयंबुद्धसिद्ध-जो किसी बाह्य निमित्त के बिना जातिस्मरण अथवा अवधिज्ञान के द्वारा स्वयं संसार से विरक्त हो जाएँ उन्हें स्वयंबुद्ध कहते हैं / स्वयंबुद्ध होकर सिद्ध होने वाले स्वयंबुद्धसिद्ध हैं। (6) प्रत्येकबुद्धसिद्ध-जो उपदेशादि श्रवण किये विता, बाह्य किसी निमित्त से बोध प्राप्त करके सिद्ध होते हैं वे प्रत्येकबुद्ध सिद्ध कहलाते हैं / जैसे--करकण्डू एवं नमिराज ऋषि आदि / (7) बुद्धबोधितसिद्ध—जो तीर्थकर अथवा प्राचार्य आदि के उपदेश से बोध प्राप्त कर सिद्धगति प्राप्त करें उन्हें बुद्धबोधितसिद्ध कहते हैं / यथा-चन्दनबाला, जम्बूकुमार एवं अतिमुक्तकुमार आदि। (8) स्त्रीलिंगसिद्ध-सूत्रकार ने स्त्रीत्व के तीन भेद बताये हैं / यथा-(९) वेद से (2) निर्वृत्ति से और (3) वेष से / वेद के उदय से और वेष से मोक्ष संभव नहीं है, केवल शरीरनिर्वत्ति से ही सिद्ध होना स्वीकार किया गया है। जो स्त्री के शरीर में रहते हुए मुक्त हो गए हैं. वे स्त्रीलिंग सिद्ध हैं। (6) पुरुषलिंगसिद्ध-पुरुष की प्राकृति में रहते हुए मोक्ष प्राप्त करने वाले पुरुषलिंग सिद्ध कहलाते हैं। (10) नपुसकलिंगसिद्ध-नपुसक दो तरह के होते हैं। (1) स्त्री-नपुसक (2) पुरुषनपुंसक / जो पुरुषनपुंसक सिद्ध होते हैं वे नपुंसकलिंग सिद्ध कहलाते हैं / (11) स्वलिंगसिद्ध-श्रमण का वेष, रजोहरण, मुखवस्त्रिका आदि को धारण करके सिद्ध होता है, उसे स्वलिंगसिद्ध कहते हैं / (12) अन्यलिंगसिद्ध---जो साधुवेष के धारक नहीं हैं किन्तु क्रिया जिनागमानुसार करके सिद्ध होते हैं वे अन्यलिंग सिद्ध कहलाते हैं। (13) गृहस्थलिंगसिद्ध-गृहस्थ वेष में मोक्ष प्राप्त करनेवाले, जैसे मरुदेवो माता। (14) एकसिद्ध-एक समय में एक-एक सिद्ध होने वाले एकसिद्ध कहलाते हैं। (15) अनेकसिद्ध–एक समय में दो से लेकर उत्कृष्ट 108 सिद्ध होने वाले अनेकसिद्ध कहे जाते हैं। इन सबका केवलज्ञान अनन्तरसिद्ध केवलज्ञान है / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org