Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Stahanakvasi
Author(s): Devvachak, Madhukarmuni, Kamla Jain, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 231
________________ 198] इनन्दीसूत्र १०६-पूर्वगत-दृष्टिवाद कितने प्रकार का है ? पूर्वगत-दृष्टिवाद चौदह प्रकार का है, यथा-(१) उत्पादपूर्व, (2) अग्रायणीयपूर्व (3) वीर्यप्रवादपूर्व, (4) अस्तिनास्ति प्रवादपूर्व, (5) ज्ञानप्रवादपूर्व, (6) सत्यप्रवादपूर्व, (7) प्रात्मप्रवादपूर्व, (8) कर्मप्र वादपूर्व, (6) प्रत्याख्यानप्रवादपूर्व, (10) विद्यानुवादपवादपूर्व, (11) प्रबन्ध्यपूर्व, (12) प्राणायुपूर्व (13) क्रियाविशालपूर्व, (14) लोकबिन्दुसारपूर्व / (1) उत्पादपूर्व में दस वस्तु और चार चूलिका बस्तु हैं / (2) अग्रायणीयपूर्व में चौदह वस्तु और बारह चूलिका वस्तु हैं। (3) वीर्यप्रवादपूर्व में आठ वस्तु और पाठ चूलिका वस्तु हैं। (4) अस्तिनास्तिप्रवादपूर्व में अठारह वस्तु और दस चूलिका वस्तु हैं / (5) ज्ञानप्रवादपूर्व में बारह वस्तु हैं। (6) सत्यप्रवादपूर्व में दो वस्तु हैं। (7) प्रात्मप्रवादपूर्व में सोलह वस्तु हैं। (8) कर्मप्रवादपूर्व में तीस वस्तु बताए गए हैं / (8) प्रत्याख्यानपूर्व में बीस वस्तु हैं / (10) विद्यानुवादपूर्व में पन्द्रह वस्तु कहे गए हैं / (11) अवन्ध्यपूर्व में बारह वस्तु प्रतिपादन किए गए हैं / (12) प्राणायुपूर्व में तेरह वस्तु हैं / (13) क्रियाविशालपूर्व में तीस वस्तु कहे गए हैं। (14) लोकबिन्दुसारपूर्व में पच्चोस वस्तु हैं / आगम के वर्ग, अध्ययन आदि विभाग वस्तु कहलाते हैं। छोटे विभाग को चूलिका कहते हैं / उक्त चौदह पूर्वो में वस्तु और चूलिकाओं की संख्या इस प्रकार है---- पहले में 10, दूसरे में 14, तीसरे में 8, चौथे में 18, पाँचवें में 12, छठे में 2, सातवें में 16, आठवें में 30, नवमे में 20, दसवें में 15, ग्यारहवें में 12, बारहवें में 13, तेरहवें में 30 और चौदहवें में 25 वस्तु हैं। आदि के चार पूर्वो में क्रम से प्रथम में 4, द्वितीय में 12, तृतीय में 8 और चतुर्थ पूर्व में 10 चूलिकाएँ हैं / शेष पूर्वो में चूलिकाएँ नहीं हैं / इस प्रकार यह पूर्वगत दृष्टिवाद अङ्ग-श्रुत का वर्णन हुप्रा / (4) अनुयोग १०७--से कि तं अणुनोगे ? अणुप्रोगे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा~-(१) मूलपढमाणुनोगे (2) गंडिआणुप्रोगे य / से कि तं मूलपढमाणोगे? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253