________________ ' ] [नन्दीसूत्र रोहक की अद्भुत बुद्धि के चमत्कार का राजा को पुनः प्रमाण मिला और वह मन ही मन बहुत आनंदित हुआ। (10) पायस-एक दिन अचानक हो राजा ने नटों को प्राज्ञा दी कि-'बिना अग्नि में पकाये खीर तैयार करके भिजवायो।' नट लोग फिर हैरान हुए किन्तु रोहक ने उन्हें सुझाव दिया-'चावलों को पहले पानी में भिगोकर रख दो, तत्पश्चात् उनको दूध-भरी देगची में डाल दो / देगची को चूने के ढेर पर रखकर चने में पानी डाल दो। चूने की तीव्र गरमी से खीर पक जाएगी।' ऐसा ही किया गया और पकी हुई खीर राज-दरबार में पेश हुई / उसे तैयार करने की विधि जब राजा ने सुनी तो एक बार फिर वे रोहक की बुद्धि के कायल हुए / (11) अतिग–उक्त घटना के कुछ समय पश्चात् राजा ने रोहक को अपने पास बुला भेजा और कहा "मेरी प्राज्ञा पालन करने वाला बालक कुछ शर्तों को मानकर मेरे पास आए। वे शर्ते हैंआनेवाला न शुक्ल पक्ष में पाए और न कृष्ण पक्ष में, न दिन में आए और न रात में, न धूप में पाए और न छाया में, न आकाशमार्ग से पाए और न भूमि से, न मार्ग से आए और न न उन्मागं से, न स्नान करके पाए और न विना स्नान किये, किन्तु पाए अवश्य / " राजा की ऐसी निराली शर्तों को सुनकर वहाँ जितने भी व्यक्ति उपस्थित थे मानों सभी को साँप सूघ गया। कोई नहीं सोच सका कि ऐसी अद्भुत शर्ते पूरी हो सकेंगी। किन्तु रोहक ने हार नहीं मानी / वह निश्चिन्ततापूर्वक धीरे-धीरे राजमहल से बाहर निकला और अपने गाँव की ओर बढ़ गया। उसने अनुकल समय की प्रतीक्षा की और अमावस्या तथा प्रतिपदा की संधि के पूर्व कंठ तक स्नान किया। संध्या के समय सिर पर चालनी का छत्र धारण करके मेढे पर बैठकर गाड़ी के पहिये के बीच के मार्ग से राजा के पास चल दिया। साथ ही राजदर्शन, देवदर्शन एवं गुरुदर्शन खाली हाथ नहीं करना चाहिये, इस नीतिवचन को ध्यान में रखते हुए हाथ में एक मिट्टी का ढेला भी ले आया। राजा की सेवा में पहुँचकर उसने उचित रीति से नमस्कार किया तथा मिट्टी का ढेला उनके समक्ष रख दिया। राजा ने चकित होकर पूछा-“यह क्या है ?" रोहक ने विनयपूर्वक उत्तर दिया"देव ! आप पृथ्वीपति हैं, अतः मैं पृथ्वी लाया हूँ।" रोहक के मांगलिक वचन सुनकर राजा अत्यन्त प्रमुदित हुआ और उसे अपने पास रख लिया। गाँववाले भी अपने-अपने घरों को लौट गये। रात्रि में राजा ने रोहक को अपने पास ही सुलाया / प्रथम प्रहर व्यतीत होने के पश्चात् दूसरे प्रहर में राजा की नींद खुली और उन्होंने रोहक को सम्बोधित करते हुए पूछा-"रोहक ! जाग रहा है या सो रहा है ?" रोहक ने उसी समय उत्तर दिया--- "जाग रहा हूँ महाराज !" 'क्या सोच रहा है ?'- राजा ने फिर पूछा। रोहक ने कहा- 'मैं सोच रहा हूँ कि अजा (बकरी) के उदर में गोल-गोल मिंगनियाँ कैसे बन जाती है ?" राजा को इस का उत्तर नहीं सूझा / उसने रोहक से ही पूछ लिया--"क्या सोचा? वे कैसे बनती हैं ?" रोहक बोला-"देव ! Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org