Book Title: Agam 25 Prakirnak 02 Atur Pratyakhyan Sutra
Author(s): Veerbhadra  Gani, Kirtiyashsuri
Publisher: Sanmarg Prakashan

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Page 39
________________ 30 Jain Education International 2010_02 एकाचवाशरणविषमपदविवरणासादिषामाहा बायनपापेनवनिरनिसावद्यापयुतशतिायागाशमानावाकायद्यापारासावद्याश्चातल्या गावाच्ययोगा षाविपनामायिकनकियानश्यशदायीनकीर्तनमुक्कानासावदिशातिवदनकियाराणाशानदर्शनवारिवाद्यानविद्यातायात गुणवंतामषापतिपनितीकरणपसावंद नाकनकियातघायपादिरस्याबदलनसवलितमात्मनासातिदारकरणातमानिंद निंदानमुनाकरिष्यामीत्कएगमनासाप्रतिकमाणन कियचिकिसनचिकिमावणस्यांना नारा रुपसाववणस्यवितिसादासाकायामाणिज्ञिपतघायणाविरत्यादायाधीशरणातषाक्षणायणक्षरणासाप्त्यारशाननकितनावतिसमुझायातकामाकपत सामायिताई. पाताधाघमामपिसामाथिकादीनामावर पंवकविहिनकयाफनदर्शनार्थकिंचिदिशिषवरूपनानागावाषकमाक्षादारिताशेदवहिनामाननशाक्यादिदर्शनानशनि सामायिकलिलामाया अप्यतावासकवचमामायिकमविशचिकियतश्याहासावधाःसापा:नारवानिरवद्यात्यामाररानसावधानवहनताश्लराणाक्षासवनाताविशा धिरत्रनलियतरतिनात्ययावतारखवतेसामायिकंगवारियावारश्चघिदर्शनाचारहिमाहादसाश्यानश्वयुधधातयवादस्ठिततवरूपएपदाहिननेतिदर्शनासमएकेतसा बारादर्शनाचारसमयपविक्ष्यविशाधिचर्दिशातरास्मानाजीवानातीईक रसंबंधिमांस्तवनावकियातयवसवर्विशत्यास्मसवामनवशिल्यानमश्चमत्वमकितना अबकुमाअतिशायिनालाकाधानकरादायाायद्यपाषाकर्मिनावर्तन द्वापणाकारागादिजयाडिनासाज पौनामाव्हादयातधामाधवरायानिकर्मवशयनसामान्य किदलिनासषामिहाश्वसंडासीईकराडिनवारदामघामित्यशाबजक्ताच उर्दिशतिसावनदर्शनाचारविहिरिदानीज्ञानाचारदिमाहामाएपपविलश साचाराहीसावादियक्षपातादीनचारिघावारयादायालाझानवानपिद __इनिचारिणयुकाएदवंदनापतिपनियाग्यशायामशानदात्यापिपाश्वस्त्रादायाश्वद्यावारियर दितवानातवाद्यवहारसदारिविणारविनिनवावंदनकायाग्याडिनत्यनाथक्ष निनादर्शनातावादित्यचाचरवक्षरनिनिादिया:सपनायुकासरूपनारनवोपनिपतति नस्यात्कारणेतस्मानातीपाविशयकरणानाकनचंदनाकनाविधिना विधिवनदाधिशाहपरहिततयापंचविनात्यावश्यकपरिवहतयावकियानाशाधिरितिशतषाशानाचारादानी अधुमण्याचारिवाचारदर्शलाचारायातमा हितायारपिविशाषणशक्षनाई यतिपादिलाचंदनाक नकानादीनामदिरापनासषामविष्यषाता अदिंगाधाहायनपालकमपका याचियामदादरवनिपाचपावतविषायतिकमादिनासकातापराधा ज्ञानादारादीनांकापुमपिपतिषिद्दकरणकस्याकरणाश्रदानविपरीतरुपदिशवाय नाचताभदाडौमायनतरुतमिलिापस्सालिकमान्मादाषाविकरणमपुनः करिष्यामीसिायंदररीकरणात्तस्मादृषवातान्निवसननतिकमणमुशताबत्ताकारणानप्रतिक मापनावधामपिज्ञानाचारादीनोकियानाववियदाहानगवानसश्मीपमिक्कमण्णतानकीवकिंकणयमिकमाणाध्यमिहारपिाहावरणमलिगतिप्रतिकामनिव रणातिगातचादायषातवरणातिगादिकपायघा कमेकमानिनपचमपायश्चिाननावणण्यत्सावालादनाङ्क्षपातडद्यखण करकदिक्षतावबणसूनिवारवाल्परूप परमगुरुश्रीआणंदविमलसूरिशिष्य पं. श्री धनविमलगणिशिवविमलसिंहविमलपठनार्थम् ।। अंत : संस्तारकप्रकीर्णकावचूर्णिः ।। कृतिरियं श्रीगुणरत्नसूरिणाम् । छ।। शुभं भवतु, कल्याणमस्तु । छ।। १३ात : अर्हम् ।। चतुःशरणविषमपदविवरणम् । साव० सह अवधेन पापेन वर्त्तन्त इति... લુહારની પોળ, ઉપાશ્રય-જ્ઞાનભંડાર, અમદાવાદ. For Private & Personal Use Only अटास्यावन्याशंक्वाहासविण्ससंध्यवाविसहरमाराने पदमुक्कटसम्यानिमानानुरागादिरहिहचावनकर्ममालापवयकारिवानाडश्नहनारा विसादा प्रतिसादातामहामामानिापाठानाराबवंद्यारब्धासंघमुऊसाहाणामपिादवानोदुर्लनतरसवमादावनिषागवताविवक्षाकर्ममनापगमानवातनासंघकाद पामहानपिसकसवादिकाता विवादपवासिमानादिभवनकामपिवयकाश्चिातापनागचंदद लेनापियीप्पाकालमरणविलायोकान्निलिमक कपवनिकासार्यरणवतपकिरणसहसवामनाचाडाणवासाम्यानश्याचे डिकात्यक्षिकनकषायानाकविङयनामानापायागयुकचिननविनतिमनाविवरण विवनास्वाभिाइनान्यनमहर्षिणाविंदकाव राक्षावडनिवाकवलसहाकवलकानरूपासमाज्ञिकवलशानिनवसममायुःपरिवीगाउनमाल श्या नुगनः॥१२१एवंलाक्लिपकारणमयासिष्टुता सुनायसंस्नारकंगाऊंइमारुडासंतासुसमपामारंदादिापादागाऊंइस्कंधमारहनिमुहसंयमुरवस्यमुनिसुरव स्पशुसम्यवासकांति।संसारडारवाहानिास्त्यपानिंमदवाररसंस्तारकपकोर्सकावयूसिकिनिरियश्रीगुणरत्नसूरीलाशातंतवतःकाल्याणमसाळा परमगुरूत्राप्रागदावमलतहरचिराष्पप-साधनावमलगाएवावावमलताहविमलपठनाई www.jainelibrary.org પ્રતદર્શન

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