Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi Gujarati Author(s): Ghasilal Maharaj Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar SamitiPage 11
________________ प्रज्ञापनासूत्र १ ठी विषयानुभशिष्ठा अनु. विषय पाना नं. ७५ १ भंगायराग २ प्रज्ञापना ठा स्व३५ 3 भंगलायरा हा प्रयोन हिजलाना ४ श्री महावीर स्वाभी ठो वंहन छा छारा हिजलाना ५ प्रज्ञापना हे अध्ययन व भेडा नि३पारा ६ मधव प्रज्ञापना ठा नि३पारा ७ अ३प अव व ३५ अश्व प्रज्ञापना ठा नि३पा ८ व और वर्श ठा परस्पर सःवेध ठा नि३पारा ८ ३पी मशव प्रज्ञापना । स्व३५ हा निसपाया १० व प्रज्ञापना स्व३प नि३पाया। ११ पृथ्वीष्ठाय अप्० ते6० वायु० वनस्पति उमेछा स्व३५ नि३परा १२ सभेवनस्पतिष्ठाय ठा नि३पारा १3 साधारण शरीर आघ्र वनस्पतिष्ठाय ठा निसपा १४ संगीनर्देश पूर्व अनंत छवों छा नि३पारा १५ जी ही अवस्था छा व साधारराव हे लक्षात ठा नि३पाया १६ जेन्द्री से पंयेन्द्री पंर्यत छवों छा नि३पा १७ मे सहित नारछो सयर स्थलयर-परिसर्प जेयर पंयेन्द्रिय ठा नि३पारा १८ ले सहित भनुष्य ठा स्व३५ व धर्मभूमि छे भनुष्यों छा वर्शन १८ देश मे से आर्याहिता वर्शन व भेट सहित दर्शनार्थ ठा नि३पा २० भेट सहित वीतराग हर्शन० व यारित्र हे स्व३५ ला नि३पाया २१ मे सहित हेव ठे स्व३प छा नि३पारा २२ पृथ्वीठाय अप्ठाय वायुष्ठाय तेस्ठाय आहर वायु व वनस्पतिष्ठाय ठेस्व३५ ठा नि३पारा २३ जेन्द्रियाटिछावों छा नि३पारा २४ नारठी स्थानो ठा नि३पारा २५ तीर्थंय पंयेन्द्रीय डे स्थानों छा नि३पारा ૮પ ૧૦૧ ૧૦૬ ૧૦૯ ૧૧૭ ૧૨૨ ૧૪૨ ૧પ૧ ૧૬૫ ૧૭૯ ૧૮૬ ૨૦૨ २०४ २१८Page Navigation
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