Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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रायपसणी। मणिमगधी वेरुलियामए निवासणे रिहम एत्वदणे तव रिट्ठामवी मसी बहरामई लोहिएणी रिट्ठामगाइ अक्खराई धम्मिए सत्थे ववसाय सभाएण उवरि अट्ठमगलगा तेसिण ववसाय सभाण्ण उत्तरपुरत्यिमेण एत्यणा णदापोखरिणी पपणत्ता हरियसरिसा तीसेण गादाए पोखरिणीए उत्तर पुरत्यिमेण महगा बलपेढिया पगणतं सबरयणामए अत्धे जाव पडिस्वे पज्झत्ताए तेण कालेण
तेगा समएमा सूरिया देवे अहूणोववरणमेते चैव समाणे पचविहाए रत्नमयो दवरको यत पवाणि प्रीतानि सन्ति नानामणिमयो गुन्धिर्दवरकस्यादी येन पत्राणि ननिगच्छन्ति अकमयानि अकरत्नमयानि पवाणि नानामणिमय लिप्यासन मसीभाजनमित्यर्थ । तपनीयमयी शुखलाभाजनसता। रिष्टरलमय रिप्टरत्नमय सुपरितन तस्य छादन रिष्टमयी रिप्टरत्नमयी मी बजुमयी लेखनी, रिष्टमयान्यक्षराणि धार्मिक लेख्य क्वचित (धम्मिएसत्ये)
ति पाठ। तव धार्मिक शास्त्रमिति व्याख्येयम् । तस्याश्च उपपातसभाया उत्तरपूर्वस्या दिशि महदेक बलिपीठ प्रजप्तम्, तच्चाष्टीयोजनान्यायामविष्कम्भत चत्वारियोजनानि वाइल्यन सर्वरत्नमय मत्यमित्यादि प्राग्वत् तस्य च वलिपीठस्य उत्तरपूर्वस्या दिशि अन महत्येका नन्दापुष्करिणी प्रज्ञप्ता सा च हदप्रमाणा इदस्येव च तस्या अपि विसीपानवर्णन तोरणवर्णन च प्राग्वत् तदेव यब यहग रूप च सूयाभस्य देवस्य विमान तत ताहग् रूप चोपवर्णित सम्प्रति मुयाभी देव उत्पन्न' सन् यदकरीत् यथा तस्याभिषेकोऽभवत् तदुपट यति ॥ छ ॥ (लेण कालेगा नेण समएण)मित्यादि तस्मिन्काले तस्मिन्समए मूर्याभी देव मूर्याभ विमाने उपपातसभायां देवएका मोठउएक पुस्तकरन थापउ धकड रहइके तहन पुस्तकरत्ननउ भागलिकहिसइतव पुस्तकरत्ननु कघउ तेकहइछह रनमय पाना रिप्टरलमय पूठा तपनीयसुवर्णमय दौरउजेण पानीपरी नानामणिमय गांडियानानीकलद वैडूर्यरत्नमयमिपीभाजनपठड रिष्टरत्नमयपडीया नुकणव नमनीयसुवर्णमयसाकलीजणीडपडाचायउटाकण वायोरिटरनमयमझीमरपीवज मया लेपिणी रिप्ठरलमय अतरतेम्पाहि केवलधर्ममधीसामवर व्यवसायसभान अपरि माहर मगलीक हनई व्यवसायसभान इसानकूधि दहा णदापुष्करणीदाधि कहीपूबसूनहवउप्रह कहतेहभणी तेहनद नदा पुष्करणी दूसानणद मीटउएक बलिपीह जिहामतिमापूजता करतावामउगरड तेहजिहामूएहवुकहूसवरलमयनिर्मल घठाएरमठान भलुरूपछि एतल सूयाभविमानवनमहितसंपूणवणव्यउहवैमूयाभदेवनावकव्यठीक?? तेण का चुघाआरान हडद . गामनिवसरि मूयाभनामदेव अधूनातत्कालिदपपातसभाइ देवमय्याइ अगुलनेयमण्यातमद

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