Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 262
________________ २६६ say रायपसेणी। तेगा समएण पएसिस्सरणो अरमामते वाउ पारसजुत्त तण वएणस्सइकायए एव चल फदद घट्टइ. उदीरड त भाभ परिपाई तएगा केमी कुमार समणे पणसि राय एव वयासी पाससिग तुम पदेसी एत तणवणस्सति काय एय त जाव त भाव परिणाम त हता पासामि जाणामिण तुम पएसी एय तणवयम्सति वार कि देवोचाले असुरोवावेद नागोवालि किन्नरोवाचानेड जि पुरिसो वामहोरगोवा गधन्वीवाचालेइ असुरवाले इता जापानि 'गोवा चाले जाव गधव्वोनोवाले वावाउकायव चाने पासमिग तुम्ह पएसीए यस्स वा उकाई यस्स सरुविस्सस कम्मम्स मरागस समा इस्स सवैयस्स मलेसस्स सरीरस्स रूव नोदण8 जण तुम्हें पीसी एयस्स वउकावस्स सवन पासमविस्स रूप नपासमि तकरण पदेसी मकथा तथा कटुका पित्तप्रकोपपरिकलितस्य रोगियादि क्प्रमामिलापभुज्जमानमनिमयेन प्रीतिजनकेति भाव', पक्ष्मपामनमोऽतीवरूजुननिका निष्ठग पयप्रतीभातया मेंदा पाण्ड माहराहायनविषद जीवदेपातु मानु तैयाकालि तयाममा प्रदेसी गवना पतिहरनही पति दुकानड़ी वाडकायनई सहित तृणवतस्पतीकाय तलावृधपान वायरिकरी सायरा ठीमधावलदछह फरकडछद माहोमाधिसहिमघटायर बादाम हा तमामतियापार द एतललीनवनवाभावपामा तिरपछी मी बमार ममय पदमी राजामति तोल्या देयके तम्हे प्रदेसी कपरछा विमपपगायकपरकर नमिदमीण वनापतिशयतिस्पता घका वलेकैफदेके तिभावमति परिम्पमाला गजासातदयाल इन्नीगार कर जागका तई प्रदेमी पचनापति कायपति स्वपिमानवामी ग्लोवली पर पातालवासीचालक अथवानामदयता मिनरदवतारतानी मानिसहरदेवानी रणदेवता गधवरवता चाचा दवता अमरचाना पाक जायरा समानता यतिचानपद असुरादिका गंधर्वातामा तयाचामती पाला सलाम . वापकायतिचापाठः बनीमा पदमी पram पमा मना - ३ar सहित वर्गवतहत्यत भानावरणीयाf infAEY ARE वेदसहित धुतीयगि म्याwिti HEREATREATMतलज riffaTTAHITYA झायनरूपमर्दपणा artinानी मrator जिHAREinster यानुवार rat ।

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