Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 270
________________ रायपसैणी। २७७ संगोव पहारेत्यगमणाए ततेण केसी कुमार समणे पटेस राय एव वयासो जाणासिण तुम्ह पएसी केयारिया पन्नत्ता इता जागामि तर पायरिया पन्नत्ता तनहा कलावरिए मिव्यायरिए धम्मायरिए जाणामिण तुम्ह पएसी लेसि तियह प्रावरिवालकम्स काविणय पडिवत्ती पउजियव्वा हता जागामि कलावरियस्स सिम्पारिवस्स उवलेवण वा समजणा करंजमा पुफाणि वा आणावेज्मा मदु वैज्झावा भोयावेज्झा ग विउल जीवियारिह पीइदाण टलएमा पुत्तागा पुत्तिय वा विवि कप्पेमा जत्येव धम्मायरिय पासेज्मा तत्वेव दिन्झा णमसेनभा सक्वारेमा समागाज्मा कत्तोल्लागा मगलचेय पज्भावासेजमा फासूएसणिज्झोण असणु पाग खाइम साइमेण पडिलाभेज्मा पाडिहारिएण पीढफलग सेज्मासधारतेया उवनिमतिमा एवच ताव तुम पइसी एव जाणामि तहाविण पनम्पमाणगमिति जल्पन करणवेहणाग कन्नवेधनबच्चरपलेड्यग सम्बत्सर प्रलेखन प्रथम सम्बत्मरीभूदित्येव सम्वत्सरलेखन पूर्व महोत्सव चूलोवणवण चूडीपनवन मगडन अग्णाग्णिय वहणि इत्यादि अन्यानि बनि गभनिदान जन्मादीनि कोतुकानि उत्सव विशेषरूपाणि महया श्रावकनधर्म आदर जिहा सेयविया पगरी तिहा जाइ वासावधानहट तपसमद कैसी कुमार थमण प्रदेसी राजाप्रति इम बोल्या जाणकद तु ईप्रदेसी कैतला आचार्य का राजाकहा हाई जाणुछउ वणि पारायं क ह्या तकदछडू बहूत्तरिकलासीपवितकलाचावचित्तामादिक विज्ञानसापवितसिलाचार्य श्रतचारिवरूपधमउपर्दसदद्वतधमाचार्य बलीगुरुकहिद जाणकर त प्रदेसी तेह बिहू अचार्यमाहि विद्वनी कुणविनय प्रतिप्रचविनयकरणी प्रयुजवीकरवा राजा कहपछड हा जाणूकर कयाचार्यहनन् अनद सिलाचार्यनइ थापडादिक उपलपनवरी स्नान करीवीड फूलपहिरावाड सरीर माडा माडीइ भीजनकरावीर घणु जीवतालगिभीगवती दूळमीतिदान दीजाद पनना पुवलगद आजीविकानि कल्पी जेहा धम्माचार्यप्रति पीट किया वादीन नमस्कारकरीद वस्वादिकइसकारहदीजाद नमृघसन्मानदीजाउठीऊमाघद ल्या कारणमगलीकदुरितध्वसनउकारसप्रतिमापरि मेवाकर अचेतनवहतालीसदीपविमदम रिक पाणी २१ जातिना पोदिमफलफूल खादिममुखवासनीज्ञाति इरादकरीप्रतिलाभि हारी पीउमाजीहफलगयाटीउ उपाथयतृणादिक नुसधारउ तेगडकरीनिमवी राजान ७०

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