Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 279
________________ रायपणी । जादू इमाई' कुलाइ भवति अढाइ दित्ता विधिगण बिउलाई ' भवणसयणासणजगी वाहणीद्र वहूजानस्वरयगाद आगपवाग सपउत्ताइ वित्धड्डियपचर भत्तपागाइ बहूदासी दासगोमहिस गवेलगप्पभूयाद वहूजणस्स अपरिभूयाइ तत्थ अन्नयरेसुकमाले पुत्तत्ताए पचाइयस्सर तरण तसिदारगसि गव्भगयसि चेवसमा मि अम्यापिजण सम्मेदठापणा सिविस्सद् तएगा तस्स दार गस्स मायानवण्ड मासाण वहू पडिपुराणायण माणराइ दिया गावियक्वताण सुकमालपाणिपाय श्रहीणपडिपुराण पचदिवसरीर लक्खण वजण गुणोववेय माणुम्माणप्रमाण पडिपुण्या सुज्जाय सव्वगसुदरग ससिसोमाकारं कत पियदसण मरुच दारय पवाहिसि तरण तस्स दारगस्स अम्मापयसे पढमे दिवसेठियवडियकरिस्सति afro दिवसे चदसूरदरमणि करिस्सति वचेदिवसे जागरिय नागरि स्मति एकारसमे दिवसे विक्वते सपत्ते वारसमे दिवसे निव्वते नासिके एकाबिहा एकालग् एक मन इति सुप्तानीव बाल्यादव्यक्तचेतनानि प्रतिबोधितानि degarकरी अतरा रहितव्यवनकरीन इएतलैचवीन्द्र किहाजापसि का उपजस्य भगवत कहियद्रछे हेगोतम महाविदेह चेद्र जेह एहवा कुलछद्र धनदुपूर्णदीप्ता प्रसिद्धवित्तीय घा घर सय्यासनादिरय चासनादिपालपी हाथीघोडाइइनिहा धाकड सुवर्णरूपाजिहा प्रयोग धननुलाभतेहनुउपायतेप्रयोग तेहतिहावाधीन घयालोक जिमइद्र तेमाटिनापीत छत्रमचूर aणु भातपायीनिहा घणी दासी दास गादू भइ सि छालीनातिएह प्रणादू जेहा घयालोकने पराभवनजाइ तिहा अरनर कोईक उत्तमकुलनइविपत्र पुत्रपण्ड अवतरस्वद्र तिवारपी eye गभ आवडू कडू मातापितानदू धर्म्मद्र सचलप्रतिज्ञा नेप्टाहोस तिहारपछी ह पुन माता नव मसबाडा काइकाफेरी साटीसात अहोरावि वीत क्रम इथक इक मालक इहाघ कट्ठी रजेहनी हीनही मतिपूण पाचइड ट्रीटू करीसहित सरीर जेहनद्र लक्ष्यस्वम्तकादि व्यजन्मपी तिलकादि मुखगभीयादितेणसहितक मानतेशेयभार उन्मानते च भारममाणते १०८ अ गुल तेग्याइकरीमतिपूर्ण भलानीपनासमर्थ व गउपागतेयइकरीमूदरछद्र अ गजेहनुचद्रमासरीर पुर्व छ मोम्य आकार जेनुकात प्रियदसणकइनेहनु भलुरूपकेजेहन रहवाgतप्रति माताप्रसवस तिहारपकी तेह gaनीमातापिता पहिलइदिवस जन्मयोग्य क्रियाकरस्य माजवू दिवस वद ८६

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