Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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रायपसेग्री। अमुई जाइ कम्मकरणे चोरक्खे सममितो वालित विउल असा पाणखादमसाइम उवक्वाडावस्मति २ मित्त नाय नियमसवण सवधि परिजण आमतिस्सति पामतेत्ता तउपछा जाव अकिलत सरीग भोवणवेनाए भोवपण मडवसि मुहासावरगवातेणमित्तनाद निवग सवणसवधि सद्धि विउल असण ४ आसाएमाणावासएमाणा परिभुजेमाणा परिभाएमाणा एवण विहरिस्सति जिमियभतुत्तरा गया वियगा समाणा आवतो चोक्खा परिमुति भूया नमित्तनाद नाव परिजगण विउलेण वत्थगध मल्लालकारण सस्वारिस्सति तम्सेवमित्त जाव परिजणस्स पुरतो एव वदिस्मति जम्हाणा देवाण प्पिया अम्ह इमसि दारगसि गम्भवसि चैवसमागामि धम्मे दढा पतिग्गा जावाण होऊण अम्हए सदारगे दढपणामेणा तएण
तस्स दढयणस्स दारगस अम्मापियरो नामधेमकरिस्मति दढ यौवनेन व्यतिवेतनावति कृतानि यस्य स वा उतन्य व्यवहारमाप्ये सोत्ताद् नवमुत्ताइ
मूवन दर्शन करावस छदिवसद नागरीप्रति जागस्वर दग्यारम दिवस वातक्रमिक श्रावथकद बारमइदिवस नीपनावइधकई अवसुचित जातकमनुकरणएतलबसूठायकरा पछद स्नानइकगीपक घरमाहिए अलिउ मिहारपछी विस्तीण अन पायी वादिमलाल खादिममुपवास नीवजावसदनीयजावद मिवलेवाचावड जातितेपीतानी निजकतभाइयुवादिक मायुलादिक सबधीतेससरवा परिजनदासदासावर्ग आमनमद शामवीन तिहारपछी नान करीयविव वम्वपहिरी देवार्चन अलकारावया भीजयवेलाइ भोजनमडपड सुखद प्रासन , वाहायकी तैयमिन न्याति सज्जन सवधीपरिजननद साधि विस्तीर्ण प्रसनयानदिमवादिम ४ शावादतायका घाड उस्वायुधयानीयनुतखडादि आस्वाद घणुपायुधोडत नापदपरादि
भीषणीकरताथका समस्तपक्वानादिजिसताथका माहीमाहिविचादेतायका मकरतापका दिन रस्थर जिमिपा अनतरथका भावमनलाधड जलकरी चीयायया परमपविक या तमित न्याति सज्जनपरिजनपनि विस्तीर्ण वरव गध माल्यालंकारडकरी साकारदीय तहज मिय প্নানিল্লা এলিননং খালি ঘুমায় যদুন্ধার ব্রােনভিয়া গমন কষ্ট ভুল गमनहविपद आवश्यदू धर्मनविपद दृढसबल प्रतिाटाद मोटर घाउ अमार पहपुर
নিম পায় নিটায়ী নৱমনুমান gয়নৰ মাৰি নামৰূমধু মধুমন

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