Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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२८०
रायपभणी। भवति जयागा नट्टसालाए गिरजई वाइज्झदनविभाइ अभिणिझड हसिभइ रमिझड तयाण नहसालारमगामा भवति जयागा नट्ट सालाए नोगिझाइ जाव नोरमिझइ तवाण नट्टसाला ग्माणमा भवति जवाण इखुवामेछिभइ भिभड पलिम्झइ खाइ पिझाइ तयाण इक्खूवाडे रमणिज्झ भवति जवारण इक्वाडे नोविझड जाव तयाण इक्खूवाडे अरमणिग्झ भवति जवाण खलवाडे उव्वू भइ उडूइभई खन्भाइ पिझइ तयाण खनवाडे रमगिझे भवति जयाण खलवाडे नोउव्वूभण जाव परमगिझ भवति सेते गढ ण पदेसि एन वुच्चति माण तुम पदेसी पुचि रमणिन्झ भवि त्ता पछा अरमणिज्झे भविभासि जाहा वगस डेइ वा जावखल वडेवा तण्ण पएसी राया केसी कुमार समगा ण्व वयासी नोखलू
भते अइ पुटिव रमणिन्भे भवित्ता पछा परमणिज्झे भविस्सामि प्रायदेशोत्पन्नाभि । विदसपरिमण्डियाहि इति वेदै सप्तदीय देशापेक्षया दृढपतिन जन्मदेश स्तस्य परिमण्डिकाभिः। इधितन नयनादिचेष्टाविशेर्पण चिन्तित परेण म्वदिस्थापित माथित चाभिलापित च विज्ञानीतवास्ता स्तथा ताभि' स्वदेशयन्नपथ्य परिधानादिरचनागृहीतो वेषोयकाभिस्ता स्तथाभिनिपुणाना मध्येया अतिशयेन कुशलास्ता निपुण कुभलारताभि । अतएव विनीताभि। चैडिया चक्कवालेति चेटिका चकवालेननार्थ स्वदेशसम्भवेन वर्षधराया वड़ित नहूद माभा करीनद अतावमीभायमानथक सौभायमानरहहः तिहारद वनपड अरमनीक हदू जिद्वार नाटकसालाइ गीतगाइ वाजिबवाजीडीद नीचाइ अभिनयनाटिकभेदकरीन हमीद रमाद तिहारद नाटिकसालापा रनणीक हुई आनजिहारद नाटव सालाइ नगाईइन वाद नरमीद तिद्वारद् नाटकसाला अरमणीक दूदू जिहारद पवाड मेलडाकेदर भेदीद कोहबुमाहिधालीसेलठापिल्हीइसेलडानापडपाइडू रसपीज़ तिवारद दवाड रमणीक दूदू तिद्वारा सूतवाड नईदीइनपाल नखाइनपाजाइ तिहार इतवाड भरमणीक हुए जिला रद खलबाडद् धाननादः उपणीइ खाइरए पाजद तिहार पलवाड रमणीक हूद जिहारद खलवाड धननगाहीड' नऊपाणीइनधोइड तिहार अरमणीकाइ तेणइकारण प्रदेसी दम कहीद रपे तु हेप्रदेसी पूर्वदू रमणीक हुइ पछद् अरमधीक होसि जिमवनपड १ नमालर एखूवाड ३ सलवाउ तिहारपछी हेप्रदसी राजा केसी कुमार श्रमयप्रति इम बोल्या तहा निश्चर

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