Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 272
________________ रायो । खामे तसे केसी कुमार समणे पदेसिस्सरणो सूरिवकतपम्, हागा देवीण तीमेण महद्र महालियाए महव्वपरिसाए जाव धम्म पक्खिदेति ततेासे पदेमीरावा धम्म सोच्चानिस्सम्म उट्ठाते उट्ठे haकुमार सम वदेद्र नम सति जेणेव मेयविया नवरी तेणेव uttarature areण केसी कुमार समणे पर्देसिराय एव ववासी माण तुम पर्देसीपुव्विरमणिज्भे भवित्तापकाचरमणि भवेन्मासि जसा मेवाडेद्रवा नट्टसालाइवा उक्खूवा डेतिवा खनवा डेतिवा कहतेव डेपुव्विरमणिज्भे भवित्तापत्थायरम णिज्भवतिपदेसी जाणवण्णसडेपत्तितेपुष्पिते फलिते हरित हरित रेघ माणासरीए अतीव उवसजे माणा २ चिट्ठति तयाण वणसडेरधमणि भवति जयाण are डेनोपत्तिए नोपुप्फिए नोफलिए नोहरिते नोहरितममाणे सिरीए नोच सोमागा २ वि तवाय वर्णसडे अरमणिज्भ airdravarr चिलातीभिरनावदे मीत्यन्नाभिवामनभिस्वशरीराभिवडभाभिनेडहकोप्टाभिराभिर्वर्वरसम्भवाभि । वकुमिकाभि योनिकाभि । पराविकाभि इमिनिकाभि चारुकिनाभि लासिकाभि कुमिकाभि | सिद्धलाभि श्रविचीभि पुलिन्द्राभि, पक्कारियामि । लोभ, सुरगडोभ, गवरीभि, पारसी | एव भूताभि रामादेशीभि नानाविधानार्थ गमनकर बाद नमस्कारकर एहपूर्वदिननउ अपराधपरिमम्यगुप्रकार विनयकरी समाव तिहारपछी तह केमी कुमार श्रमण पर्दसी समीपद सूरियकता प्रमुखनदू देवीन लेखी धगुज मोटाइ महापूज्यपरिषदाइ विस्तारक धर्म कथाप्रतिकहइ तिहार तेहमदेसी राजा धर्मसाभली free raura soakकरीकठे कैसी कुमार श्रमणप्रति वादर नमस्कारकरs जिहा सेयविया नगरी तिहा जाइ सावधानय्यर तिहारपछी केसी कुमार श्रमव प्रदेमी राजाप्रति इम वील्या माकहतारणं तु हेपदेसी पूर्वद्र रमणीक हूइन्द्र पटू अरमणीक हूइसिएतल हवडामुधमथर पश्नेिह पूर्व हवन अथमाधायसि जिम तेह वनपड अथवा टकसाला अथवा सेल सोनवाडी अथवालावाडी राजापूरकर किम हेपूज्य वनपड पूर्वद्र रमणीक हूइन पछ धरमणाक हूद्र गुरुरुहद्ररै हेप्रदेसी तिहार वनपडपत्रसहित मूल्यु धूर नीलउथकु दीस नील गुड करी विरानमानहूड सोभाकरी धगुघणु मीभनु घकउ २र४द्र तिवारपछी वनपड रमणीक हूइ निवारण बनपड पत्रसहित फू लिउनफलु नुहुनीलनहुइनीलगुण्डू करी विराजमान २७८

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