Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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रायपसेो ।
तुम्म मम वास वामेण जाव वट्टित्ता मम एवम थखामेत्ता जेणेव सेयविया नवरी तक पहारेत्यगमणाए तर्तगासे पदेमीराया केसि कुमार समण एव वयासी एव खलू भते मम इमेवारुवे भ थिए जाव ससुप्पभित्था एव खलू अह देवागुप्पियाण वामेण जावट्टित्त तसेच खलू सेकल्ल पाउप्पभाए रयणीए नाव तेजसा जलते अतेउरपरियावरुद्धि सपुरिवुडे देवागुप्पिया वदित्ता नम सित्ता एमट्ठ भुज्को २ सम्मस्स विणण खामिन्झाएत्तिकटू जा मेव दिस पाउ भूयतामेव दिस पडिगए तएगासे पदेमीराया कल्ल पाउप्पभाया रवी जाव तेयसा जलते हट्टतुट्ठ जावडियए जह वक्तणिते तव निगच्छति यतेउर परियालसsि सपरिव़डे पचवि हे अभिगमेण बढइ नमसतिए यम भुक्मो २ सम्म विराएग दूट्टींसक्कारसमुरयन्ति महत्या ऋइना महतासक्कारेण पूजया महता समुदर जनाना चीरदाfरए इत्यादि चीरधावनास्तनदाहिन्या मण्डनधावना मयडयिवया मज्झनधावास्नापिकया क्रीडनधावना क्रीयाकारिण्या धावना उत्तधाधारिण्या अगोत्रिय वहूहि इत्यादि कुन्नि -
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थकद्र गुरुकहइछद्र प्रथम तु हेप्रदेसी इम जागइछद्र तउहीपणि तु सुमन डावु डावु उपराहुर तीन मुकन एह अपराध चणखामीनटू जिहा सेयविया नगरी जिहा नाद वासावधानवयु गुरमहापकी तेह प्रदेसी राजा केसी कुमार श्रमणप्रति इम वोल्यु इप्रकारी एनिमचद्र हेपूज्य मुकनद्र एहव आत्मानइविपद् सकल्प विचारऊपन एवइप्रकार निश्च हू देवा नुमियनुमत ठाउ ऊपराठउवत्त तेमाटडकल्याणसहीमुझनिधापु वेकालि प्रगटथा प्रभातनी रात्रिरतइभाइनीरात्रि सूर्यतकरी नाज्यल्यमानकग तिहार च तेडरपरिवारसाधक पर वरायकु देवानुप्रीय तु मनवादबू हाथजोडानद्र नमस्कारकरीद्र मस्तकनमावीन एक अपराध वली २ सम्यगपुकारइविनयकरी खमावस्यु इमकही जेहदसिधी आयु हू तर तेहजदिसप्रतिऊप राग तिहारपकी तेह प्रदेसी राजा कालि मगटहूद्र प्रभातनी रजनी प्रभातथ्यु कमलविक स्वरया तेज जायूलमानसूयऊगड राजा हर्पपासु सतीषपामउ चित्तमाहि श्रादर जिम कोण राजावादसूत्र वादथोनीकल्यु तिमजवादवानीकल्यै भनेउरपरिवारसाथिपरवपथकु पचमकार अभिगमनिकरीस चित्तपुफादिकबाहरिवोसराव १ अचित्तवस्तादिकपासराय २ एकसाहिकवनुउरासगकरह १ गुरुसाहमीचहूरापद्वायजीडद्र ४ मनएकठामिरापपाचचभा

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