Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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रायपसेणी। पासाय वरगते जाव विहरमाणो पासति २ एव ववासी अहोण अह अधणे अपुगणे अकयत्थे अखयलक्खणेहिरिसि परिवज्झिए हीण पुगणु चाउदिसिए टुरतपतलक्खणे जतिण अह मित्ताणवानाईण वा निवगाणवा वयण सुगोत्ता तोण अह पिचेव उप्पि पासाय वर गते जाव विहरतो सेतेण? या पडसी एव बूच्चइ माणं तुम पएसी पच्छाणुताविए भविज्झासि जहा च सेपुरिसे अहभारए ११ एत्यगा से पदसीराया सुवूई केसी कुमार समण वद जाव एव क्यासी नोखलू भते अह पछाणुताविए भविस्मामि जहा वसे पुरिसे अय भारते त इच्छामिण देवाणुप्पियाण अते एके वलिपन्नत्त धम्म निसामित्तते अहामुह देवाणुप्पिया मापडिबधकरे वम्मकहा जहा
वित्तस्स तेहेव जाव गिह धम्म परिवज्झते जेणेव सेयवियाणगरी यत्ति जिमित्तो भुनावती भुतुत्तति भुन्नात्तर भुक्तीचरकाल प्रागति। भागती उपवेशन स्वान इति गन्यते यायन्ता इति आचान्तो शुद्धोदक योगेन चीचोलेपसियाद्यपनयनेन अवण्व परमगुचिभूतो तरण तस्म दढपत्तस्स अम्मापियरो अणुपुब्वेणविद् पडियमित्याद्युक्तमनुत च मयत उपदशयति। सुगम चैतत् नवर प्राजनन भनगहण प्रचक्रमण पदाभ्या गमनम्। तह चाणमहाबल तेहबडाव्यापारीपुरुप जपरिमासाननबहानादिपर्दपाडता पचे द्रियना सुपभीवता विचरताप्रति देपदपीना पोताना पात्मापति एम बील्यु यही इति पेदे पधाय पुन्यरहित अवतार्थ भला लक्षारहित लज्जासीभातणदरहित अधारी चटसिनु जायउ दुष्टभुड उछ अतछेहडलजेहनउएहबामातधमलनणनु धणीज ह मिवनउ नातिनउ पोतानापरिवारनु बचन साभलनु तउ हुद् पग्धिमही प्रासाद सपरिववुधकु सुपभोगवतउ विचरतउतणद हाटातद हेप्रदेसी इम कहीदछद्र मारपेतु प्रदेसी पकात्तापन योग्य होइसिमहोदसि एतलजिम तेइ पुरुप लाहभागकएग्वारमउ प्रश्न ११ वा तेह प्रदेसी राजामति बोधयाम्य कैसी कुमार श्रमण प्रति वाद नमस्कारकरी हम बोल नही निश्चद् हेपूज्या पश्चातापन योग्य होइदस्यए जिम तेहपुरुष लोहमारवाइनु तेयाटवाछुछु हेदेवानप्रिय तुमारि समोपि केवलिभापित धर्म सिद्धातरूप तहप्रतिसाभलबा गुरक हैछ हया सुपनिमतुमनिमुपादू हेदेवानुप्रिय मामतिबंध एतलद धमविपद प्रमादनकर केसीगुरुङप्रदसी राजा भागलि धर्मकैड निमसावधानगरी चीवसारधीन कहार तीतिमन प्रदेसीपणिसद हामिखभते निगाय पावया इत्यादिपाठकही

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